शैलेन्द्र पाठक. बिलासपुर. तुर्काडीह पुल घोटाले का मामला जितना पुराना है उतना ही दिलचस्प भी. पहले तो तुर्काडीह के पास अरपा नदी में 3 करोड़ का घटिया पुल बनाया गया फिर निर्माण के वारंटी पीरियड्स में ही दरारें आ गई. दरारों को दुरुस्त करने के लिए पुनः 3 करोड़ की आश्चर्यजनक राशि खर्च कर दी गई. इस मामले के आरोपी असिस्टेंट इंजीनियर आरके वर्मा को आज ईओडब्ल्यू की टीम ने गिरफ्तार कर लिया. लंबे समय से आरोपी फरार चल रहा था. आज ईओडब्ल्यू की टीम ने आरोपी के घर पर दबिश देकर गिरफ्तार कर लिया.

आपको बता दें कि अब और भी कई आरोपियों पर शिकंजा कसने की तैयारी तेज कर दी गई है. तुर्काडीह पुल घोटाले में रायपुर के लोक निर्माण के ईई, एसडीओ, सब इंजीनियर को भी आरोपी बनाया गया है. भगोड़े असिस्टेंट इंजीनियर को आज गिरफ्तार कर विशेष न्यायालय में पेश किया गया. इस कार्रवाई के बाद अन्य आरोपियों पर जल्द शिकंजा कसने की तैयारी है. उधर विचारण न्यायालय ने भी वारंट जारी कर अगली सुनवाई में आरोपियों को पेश करने का आदेश कर दिया है. तुर्काडीह पुल घोटाले के आरोपी 2016 में चालान पेश होने के बाद से ही फरार चल रहे हैं. मामले की गंभीरता को समझते हुए हाईकोर्ट ने भी इस मामले की विस्तृत जाँच का आदेश दिया है.

इस मामले को जरा और विस्तार से समझ लीजिये. 2007 में अरपा नदी पर तुर्काडीह के पास पुल निर्माण किया गया था. पुल निर्माण में 3 करोड़ की लागत राशि आई थी. तुर्काडीह के इस नये पुल के निर्माण के वारंटी पीरियड्स में ही कई जगह दरारें आ गई थी. पुल कभी भी धसकने की दशा तक जा पहुंची थी. जनहानि की आशंका के चलते बाद में प्रशासन ने पुल पर यातायात व्यवस्था बंद कर दिया था. दरार को जब दुरुस्त करने का फरमान जारी हुआ था तब दरारें बंद करने में ही पुनः आश्चर्यजनक रुप से 3 करोड़ की राशि खर्च कर दी गई.