आशुतोष तिवारी, जगदलपुर. बस्तर, छत्तीसगढ़ का हरा-भरा और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध क्षेत्र, एक समय तक अपने घने वनों, शांत जनजातीय जीवन और प्राकृतिक संसाधनों के लिए जाना जाता था, परंतु पिछले कुछ दशकों में बस्तर की पहचान में एक बड़ा बदलाव आया है। बस्तर की हरियाली जो कभी इसकी पहचान थी, अब गांवों और शहरों के फैलते दायरे में सिकुड़ती जा रही है। पहले का बस्तर प्रकृति के नियमों से बंधा था, संतुलित, शांत और जीवनदायक था। अब का बस्तर प्रदूषण, प्लास्टिक और अंधाधुंध विकास की चपेट में फंसा एक चेतावनी बन चुका है, लेकिन अभी भी देर नहीं हुई है। पर्यावरण दिवस सिर्फ एक दिन नहीं, एक चेतावनी है कि अगर हमने आज नहीं सोचा तो कल सोचने के लिए कुछ नहीं बचेगा।
बैलाडीला की पहाड़ियां कभी हरे वस्त्रों से ढकी रहती थी। दलपत सागर की लहरों में चांद भी नहाया करता था और बस्तर की हवाओं में पक्षियों की कलरव गूंजती थी, लेकिन समय बदला और साथ में बस्तर का स्वरूप भी बदल गया। जहां कभी हरियाली की छाया में जीवन फलता-फूलता था अब वहां खनन की मशीनें गूंज रही है। दलपत सागर कभी जिसका पानी दर्पण जैसा साफ़ था आज वह प्लास्टिक और गंदगी से घिर गया है। जहां नावें तैरा करती थीं, अब वहां झाग और बदबू के साथ जलकुंभी है।
बस्तर को बचाना है तो उसकी नदियों को फिर से बहाना होगा, उसके जंगलों को फिर से हरा करना होगा और उसकी मिट्टी को फिर से सांस देना होगा। कांगेर घाटी और इंद्रावती जैसे अनमोल प्राकृतिक धरोहरों को हमें सिर्फ देखना नहीं, सहेजना भी है।आज हम सबको मिलकर संकल्प लेना होगा कि हम बस्तर को फिर से हरा बनाएंगे, क्योंकि जब बस्तर हरा रहेगा तभी भविष्य सजेगा। आज शहर में जरूर पौधारोपण किया जा रहा है, लेकिन सिर्फ आज के दिन को ही हम मानते हुए पौधारोपण कर एक सांकेतिक रूप से मना लेते हैं, लेकिन जरूरी है कि आज की तरह ही हर रोज पौधा लगाना पड़ेगा, तब हमारी पीढ़ी सुरक्षित रहेगी।


5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जगदलपुर शहर में अलग-अलग स्थानों पर वृक्षारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया। पर्यावरण प्रेमियों, सामाजिक संस्थाओं और सुरक्षा बलों ने मिलकर शहर को हरित बनाने का संकल्प लिया। सीआरपीएफ कैंप में जवानों ने वृक्षारोपण कर पर्यावरण दिवस मनाया। इस मौके पर सीआरपीएफ कमांडर ने कहा कि लगातार पेड़ों की कटाई और पर्यावरणीय असंतुलन के चलते मौसम चक्र बिगड़ रहा है। उन्होंने कहा कि बस्तर की हरियाली बनाए रखने में सीआरपीएफ की पूरी भागीदारी रहेगी। इधर बूढ़ा तालाब के पास पर्यावरण बचाओ मंच, वार्डवासियों और महापौर संजय पांडे के साथ मिलकर वृक्षारोपण किया गया।
किशोर पारेखा ने कहा कि अब पर्यावरण दिवस सिर्फ औपचारिकता भर नहीं रह गया है। मौसम के असामान्य बदलाव हमें चेतावनी दे रहे हैं कि यदि अब भी प्रकृति का संरक्षण नहीं किया गया तो आने वाली पीढ़ियों के लिए स्थिति और भी भयावह हो जाएगी। महापौर संजय पांडे ने बताया कि प्रधानमंत्री के स्वच्छ और हरित भारत अभियान के तहत आज से पूरे बरसात के मौसम में वृक्षारोपण की शुरुआत की गई है। उन्होंने कहा कि शहर को स्वच्छ बनाए रखना और हरियाली से भर देना नगर निगम की प्राथमिकता है। जगदलपुर वासियों ने इस पर्यावरण दिवस पर एकजुट होकर हरियाली के संकल्प को मजबूती दी है और यह संदेश दिया है कि प्रकृति से प्रेम ही पृथ्वी की रक्षा है।
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