रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर और भिलाई में दिवाली पर इस बार पिछली बार की अपेक्षा वायु और ध्वनि प्रदूषण कम हुआ है. यह दावा राज्य के पर्यावरण संरक्षण मंडल की एक रिपोर्ट ने किया है. रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में औसतन इस बार दीपावली में वायु प्रदूषण पिछले साल की तुलना में लगभग 7.4 प्रतिशत कम रहा. भिलाई में भी पिछली दीपावली के मुकाबले इस बार औसतन वायु प्रदूषण के स्तर में करीब 9 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई.

पटाखों पर उच्चतम न्यायालय के निर्देशों एवं राज्य सरकार की लगातार पहल एवं सघन जन-जागरूकता अभियान जिला प्रशासन, पुलिस विभाग और आम जनता के सहयोग से रायपुर शहर में औसत परिवेशीय वायु गुणवत्ता (पीएम-10) अर्थात हवा में धूल के कणों की संख्या इस वर्ष 73 माइकोग्राम प्रतिघनमीटर रही, जो साल 2018 में 78.89 माइकोग्राम दर्ज की गई थी. इसी तरह सल्फरडाई आक्साइड गैस का स्तर भी 9.9 प्रतिशत कम होकर 2266 और नाइट्राजन आक्साइड गैस का स्तर लगभग 8.73 प्रतिशत कम होकर 23.83 पाया गया.

रायपुर में वायु मापन के परिणाम स्टेशन अनुसार निम्नानुसार हैं – वायु प्रदूषण पी.एम. 10 सिटी कोतवाली 76.33. एम्स हॉस्पिटल के पास 60.42, कलेक्टोरेट परिसर 84.71, एन.आई. टी. रायपुर के पास 7564 एवं जिला अस्पताल शंकर नगर के पास पंडरी 68.33 माइकोग्राम प्रतिघनमीटर पाया गया.

भिलाई शहर में पर्यावरण संरक्षण मंडल के विशेषज्ञों द्वारा दीपावली में की गयी मॉनिटरिंग के अनुसार उस दिन वहां औसत परिवेशीय वायु में धूल कणों की संख्या 9 प्रतिशत कम होकर 68 माइकोग्राम प्रतिघनमीटर पायी गयी, जो वर्ष 2018 में 75 माइकोग्राम प्रतिघनमीटर थी.

रायपुर शहर में दीपावली के दिन ध्वनि प्रदूषण में भी लगभग 5 प्रतिशत कमी पायी गयी। इस बार रायपुर में ध्वनि की तीव्रता 81.7 डेसीबल रही, जो वर्ष 2018 में 86 डेसीबल थी। भिलाई में इस बार दिवाली में ध्वनि की औसत तीव्रता पिछले साल की तुलना में 9.2 प्रतिशत कम होकर 69 डेसीबल दर्ज की गयी, जो वर्ष, 2018 में 76 डेसीबल दर्ज की गयी थी.

मंडल के अधिकारियों ने बताया कि मण्डल द्वारा दीपावली के मौके पर आम जनता से पटाखों का उपयोग करते समय पर्यावरण नियमों के के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों का भी पालन करने की अपील की गई थी. छत्तीसगढ़ शासन एवं पर्यावरण मण्डल की इस अपील का काफी सकारात्मक असर देखा गया. सभी प्रमुख शहरों में जन जागरण अभियान भी चलाया गया. प्रचार-प्रसार के जरिये आम जनता को मान उच्चतम न्यायालय द्वारा पटाखों पर जारी दिशा निर्देशों एवं पर्यावरण संरक्षण नियमों की जानकारी दी गई. इस अभियान में जिला प्रशासन व पुलिस विभाग का भी सहयोग मिला है.

बता दें कि दिवाली के पहले और बाद में वायु और ध्वनि प्रदूषण का मापन किया जाता है. ​ पटाखों की वजह से वायु प्रदूषण ज्यादा हो जाता है. वहीं ध्वनि प्रदूषण भी एकाएक बढ़ जाता है, जिससे लोगों में विभिन्न प्रकार की बीमारियां फैलने लगती हैं.