अरविंद मिश्रा, बलौदाबाजार. जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर ग्राम मोहान अपना अस्तित्व बचाने जहोजद कर रहा है. अपनी समस्याओं को लेकर ग्रामवासी कलेक्टर, मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगा चुके हैं. लेकिन अब तक ग्रामीणों के समस्याओं का निराकरण नहीं हो पाया है. जिसे कारण ग्रामवासी चितिंत नजर आ रहे हैं. दरअसल, महानदी से लगातार हो रहे अवैध रेत उत्खनन को लेकर ग्रामीण चिंतित हैं. खनन के चलते नदी से लगे मैदानी इलाकों में पानी के तेज बहाव की वजह से कटाव हो रहा है.

गांव में रेत माफियाओं द्वारा पर्यावरण विभाग की ओर से बनाए गये सारे नियम, कायदे और कानून को ताक मे रखकर जिस तरह से अवैध उत्खनन किया जा रहा है, उससे महानदी लगातार गांव की तरफ बढ़ रही है. करीब आधा किमी के मैदानी इलाका जहां ग्रामीण खेती किसानी कर फसल और सब्जी उगाकर अपना जीविकोपार्जन करते थे, वो खेत अब महानदी में मिल गए हैं. उस जगह का अस्तित्व ही मिट गया है. अब राजस्व विभाग के पास न ही जमीन का रकबा या खसरा है, न हीं कोई चीज.

सीएम ने की थी तटबंध बनाने की घोषणा

इस समस्या को लेकर ग्रामीम कई बार शासन-प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं. ग्रामीणों की मांग है कि गांव में रेत उत्खनन पूरी तरह बंद किया जाए. इससे गांव का अस्तित्व संकट में आ गया है. बरसात के समय जब महानदी उफान पर रहती है, तो संकट और बढ़ जाता है. इसे लेकर ग्रामीण धरना भी दे चुके हैं पर सुनवाई नहीं हुई. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने तो ग्राम ओड़ान मे भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान मोहान के ग्रामीणों की मांग पर तटबंध बनाने की घोषणा जरूर की थी, लेकिन प्रशासन अभी इसे अमलीजामा नहीं पहना पाया है. अब बरसात आ गयी है, जिससे ग्रामीण चितिंत नजर आ रहे हैं.

पांच-सात सालों से हो रही समस्या

एक ग्रामीण ने बताया कि पिछले सात सालों में रेत उत्खनन जब से शुर हुआ है, तब से ये समस्या लगातार बढ़ रही है. जिसका कारण रेत ठेकेदारों द्वारा सारे नियमों को ठेंगा दिखाकर उत्खनन करना है. जिससे लगातार कटाव हो रहा है और इससे लगभग 15 से 20 परिवार की खेती पूरी तरह नष्ट हो चुकी है. ग्रामीणों को इसका मुआवजा तक मिला है. ग्रामीणों की मांग है कि यहां रेत उत्खनन बंद किया जाए. सरपंच, उप-सरपंच सहित ग्रामीणों का कहना है कि पिछले पांच-सात वर्षों में कटाव में तेजी आई है.

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