कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में आवारा जानवरों का आंतक थमने का नाम नही ले रहा है। ये हाल, तब है…. जब एक साल में उनके ऊपर 21 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि उनको कंट्रोल करने और रखरखाव पर खर्च की जाती है। जिसमें कुत्तें, गौवंश और बंदर शामिल है। सरकारी आकंड़े बताते है कि इनके कारण पिछले छह महीने में 100 से अधिक दुर्घटनाएं हो चुकी है, जिनमें 6 लोगों की मौत हो गई।

6 महीने में 100 से अधिक दुर्घटना, 6 लोगों की हो चुकी है मौत

ग्वालियर शहर की सड़कों पर घूम रहे 8 से 10 हजार आवारा जानवर और 30 हजार स्ट्रीट डॉग्स के कारण शहरवासी परेशान हैं। इनके कारण पिछले छह माह में 100 से अधिक दुर्घटनाएं हो चुकी है, जिनमें 6 लोगों की मौत हो गई। अगर डॉग बाइट के मामलों पर ही गौर करें तो 1 जनवरी से 27 फरवरी तक न्यू जयारोग्य चिकित्सालय के पीएसएम विभाग और जिला अस्पताल मुरार में 7935 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।

आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए बनाई गई टीम- निगम कमिश्नर

आवारा जानवरों की समस्या को लेकर नगर निगम कमिश्नर हर्ष सिंह का कहना है कि शहर में आवारा पशुओं को पकड़ने के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई है। इसके साथ ही आवारा स्ट्रीट डॉग्स के लिए भी टेंडर कॉल किया जा चुका है और जल्द ही एनजीओ काम शुरू कर देगी। शहरवासियों को परेशानी ना आए इसको लेकर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

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ग्वालियर के किला तलहटी क्षेत्र के चारों तरफ की कॉलोनी-मोहल्ले में बंदरों की आबादी बढ़ती जा रही है। यहां दो से तीन हजार बंदरों के आंतक से लोगों को खुद अपनी सुरक्षा करनी पड़ रही है। हाल ही में आवारा सांड ने एक बुजुर्ग को उठाकर पटक दिया था, जिससे उसकी मौत हो गई थी। शहर में मवेशियों के कारण कोई दुर्घटना होती है तो नगर निगम अमला सक्रिय हो जाता है। कुछ दिनों तत्परता से काम होता है, उसके बाद फिर वही हालत हो जाती है।

बीजेपी-कांग्रेस आमने-सामने

BJP नेता व नगर निगम सभापति मनोज सिंह तोमर का कहना है कि आसपास के लोग आवारा गोवंश को शहर में छोड़ जाते है। जिससे स्थानीय स्तर पर परेशानी आती है। फिर भी आवारा जानवरों की परेशानी दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। वहीं कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राम पांडेय ने शहर में आवारा जानवरों के आतंक पर निगम प्रशासन के साथ सरकार को घेरा है। उनका कहना है कि विकसित शहर विकसित भारत की बात करने वाली बीजेपी शहरवासियों को आवारा जानवरों से सुरक्षा भी नहीं दे पा रही है ।

ग्वालियर शहर में जानवरों की स्थिति…

  • सड़कों पर 30 हजार स्ट्रीट डॉग्स
  • 10 हजार गौवंश
  • 3 हजार बंदर

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ग्वालियर नगर निगम नगरीय क्षेत्र के आवारा गौवंश को कंट्रोल करने पर निगम हर साल लगभग में 20 करोड़ रुपए लाल टिपारा गौशाला पर खर्च कर रहा है। वहीं आवारा पशुओं को पकड़ने पर साल में 35 लाख रुपए का खर्च कर्मचारियों के वेतन-भत्ते और वाहनों के डीजल पर खर्च किए जा रहे हैं। फिर भी अधिकारी व्यवस्थाओं को मजबूती देनी की बात कर रहे है, ऐसे में देखना होगा कि आखिर कब तक लोगों को आवारा जानवरों से राहत मिलती है।

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