पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। तेल नदी के सेनमुड़ा घाट पर जिस पुल के लिए 11 गांव के 6 हजार मतदाताओं ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार किया था, विभाग उसका 30 महीने में महज 50 मीटर स्लैब की ढलाई करवा सका है. निर्माण की कछुआ चाल देख विभागीय ईई ने ठेका कंपनी को दिसंबर महीने तक काम पूरा नहीं होने पर ब्लैक लिस्ट करने की चेतावनी दी है.

खुटगांव-खोखसरा मार्ग पर तेलनदी के सेनमुड़ा घाट में 10 करोड़ 38 लाख से 325 मीटर पुल का निर्माण हो रहा है. पीएमजीएसवाय के ब्रिज काम देखने वाले इकाई 2 ने इस काम की जिम्मेदारी गणपति कंस्ट्रक्शन को दी है. लेकिन काम की कछुआ चाल से ग्रामीणों की परेशानी यथावत है, यही नहीं यह काम विभाग के गले की हड्डी बन गई है.

दिसम्बर 2019 में काम के लिए दूसरी बार वर्क आर्डर जारी हुआ, तब से लेकर अब तक 30 माह के दौरान महज 35 प्रतिशत का ही हुआ है. प्रावधान के मुताबिक, 14 पिलर खड़े होने थे, जिस पर 325 मीटर स्लैब की ढलाई होनी है. लेकिन अब तक पांच पिलर भी पूरे नहीं हुए हैं. वहीं महज 50 मीटर स्लैब की ढलाई की गई है. अगर इसी रफ्तार से काम हुआ तो पुल को पूरा होने में 3 साल और लग जाएंगे.

नदी में पानी आते ही ठेका कंपनी फिर से काम समेट कर रफू चक्कर हो गई है. मामले में विभाग के ईई आरके गंजीर ने माना कि काम में काफी विलंब हो रहा है. उन्होंने कहा कि ठेका कम्पनी को नोटिस जारी किया गया है. दिसम्बर 2022 तक काम पूरा करना बताया है, इस अवधि में पूरा नही किया तो कम्पनी को ब्लैक लिस्टेड करने की कार्रवाई की जाएगी.

2017 में थी 7 करोड़ 36 लाख लागत

बीजेपी कार्यकाल के दौरान वर्ष 2017 में पुल निर्माण के लिए 7 करोड़ 36 लाख की मंजूरी मिली थी. काम भी शुरू हो गया. लेकिन नींव खुदाई के दौरान 7 पिलर के लिए निर्धारित स्थान पर निर्धारित गहराई से ज्यादा नीचे हार्ड स्वेल मिला. लागत बढ़ते देख ठेका कम्पनी ने हाथ खड़ा कर दिया. इसके बाद ओपन फाउंडेशन की डिजाइन को बदल कर पाइल्स फाउंडेशन के लिए दोबारा ड्राइंग स्वीकृति के लिए फाइल भोपाल भेजा गया. नए डिजाइन के आधार पर निर्माण कार्य की लागत बढ़ कर 10 करोड़ 36 लाख हो गई. दोबारा वर्क आर्डर दिसम्बर 2019 में जारी हुआ. बताया जा रहा है अब अनुबंधित ठेका कम्पनी ने यह कार्य रायपुर के किसी पेटी कॉन्ट्रैक्ट पर दे दिया.

11 गांव ने किया था चुनाव बहिष्कार

2017 में पुल का काम अचानक बंद किए जाने से नाराज 11 गांव के रहवासियों ने लोकसभा चुनाव के पहले अप्रैल 2019 में सेनमुड़ा घाट पर चुनाव बहिष्कार का ऐलान किया था. मतदान हुआ तो सेनमूदा, सुपेबेड़ा, परेवपाली,खोखसरा, मोटरापारा में शत-प्रतिशत मतदान का बहिष्कार हुआ. वहीं अन्य गांवों में मतदान महज 5 से 8 प्रतिशत पर सिमट कर रह गया था. काम में देरी होते देख अब फिर से ग्रामीणों में आक्रोश पनपने लगा है. पूर्व जनपद अध्यक्ष देशबंधु नायक, जनपद सदस्य उर्मिला पात्र, जिपं सदस्य शकुन्तला नायक ने कहा कि काम जल्द पूरा नहीं हुआ तो सड़क की लड़ाई लड़ेंगे.

18 गांव के 15 हजार आबादी निर्भर

इस वृहद पूल के बन जाने के बाद नदी पार के 18 गांव में रहने वाले 15 हजार आबादी की बरसाती समस्या खत्म हो जाएगी. अभी छोटे नाले पर आवाजाही होती है. अच्छी बारिश हुई तो 3 से 4 दिनों तक इन गांव का सम्पर्क ब्लॉक मुख्यालय से कट जाता है. पूल के बनने के बाद ओड़िसा से व्यापारिक संबंध भी मजबूत होंगे. ग्रामीणों को रोजगार का अवसर मिलेगा. अतिरक्त आमदनी की धारा भी इसी पूल पर निर्भर है.