Toll Plaza Revenue: देश के 1,087 टोल प्लाजा से हर दिन 168 करोड़ रुपये की कमाई हो रही है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने सदन में सांसद दरोगा प्रसाद सरोज के सवाल का जवाब देते हुए यह जानकारी दी। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने कहा है कि टोल संग्रह केवल लागत वसूली के लिए नहीं है, बल्कि नियमों के मुताबिक, यह एक उपयोग शुल्क है। सरकारी या निजी परियोजनाओं के अनुसार, टोल की अवधि और दरें तय होती हैं।

सरकार की ओर से बुढ़नपुर-वाराणसी मार्ग के बारे में जानकारी देते हुए बताया गया है कि यह सड़क दो हिस्सों में बनी है। बुढ़नपुर से गोसाईं की बाजार बाईपास और गोसाईं की बाजार बाईपास से वाराणसी तक इसकी कुल लागत 5,746.97 करोड़ रुपये है और अब तक टोल संग्रह 73.47 करोड़ रुपये हो चुका है।

देश में टोल प्लाजा और सरकार की आमदनी

  • जून 2025 तक कुल टोल प्लाजा: 1,087
  • दैनिक टोल आय: 168.24 करोड़ रुपये
  • 2024-25 में कुल टोल आय: 61,408.15 करोड़ रुपये
  • सार्वजनिक निधि वाले प्लाजा: 28,823.74 करोड़ रुपये
  • निजी ऑपरेटरों की ओर से संचालित प्लाजा: 32,584.41 करोड़ रुपये

राष्ट्रीय राजमार्गों को टोल फ्री की योजना नहीं – सरकार

सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों को टोल-मुक्त करने की कोई योजना नहीं है। इससे प्राप्त राजस्व केंद्रीय संचित निधि (Consolidated Fund of India) में जाता है और उसी से नई सड़कों का निर्माण और मरम्मत की जाती है।

केंद्र सरकार ने यह भी कहा कि बीओटी (Build-Operate-Transfer) परियोजनाओं में, एक निश्चित अवधि के बाद, टोल सरकार को सौंप दिया जाता है और वह उसे वसूलती है, जबकि सार्वजनिक वित्त पोषित सड़कों पर टोल संग्रह निरंतर जारी रहेगा और हर साल इसकी समीक्षा की जाएगी।

क्या सड़क निर्माण के लिए नागरिकों से कर वसूला जाता है?

इस सवाल के जबाव में सरकार ने कहा, “ये दो तरीके से वसूला जाता है. इसमें पहला यूजर फी (टोल)- राजमार्गों पर सफर करने वालों से वसूला जाता है. यह एनएच शुल्क नियम, 2008 के तहत होता है और दूसरा ईंधन पर सेस (Cess) यानी पेट्रोल और डीजल पर जो उपकर लगाया जाता है. यह पैसा सेंट्रल रोड एंड इंफ्रास्ट्रचर फंड (CRIF) में जाता है. यहीं से राजमार्गों, रेलवे क्रॉसिंग, ग्रामीण सड़कें, पुल, एयरपोर्ट आदि के विकास पर खर्च होता है.”

यानी कुल मिलाकर बात करें तो, भारत सरकार टोल वसूली को सड़क की लागत वसूली से जोड़कर नहीं देखती. टोल का मकसद सड़कों के इस्तेमाल पर शुल्क लेना और उस पैसे से देशभर में सड़क नेटवर्क को बेहतर बनाना है.

सड़क निर्माण की दैनिय लागत के बारे में क्या बोली सरकार?

सरकार ने सड़क निर्माण की दैनिक लागत के बारे में कहा, “निर्माण लागत तय करने वाले कारक इलाके का भू-भाग, मिट्टी, ऊंचाई, पुल-संरचना, सामग्री, ट्रैफिक भार आदि हैं. इसके साथ ही लागत तय करने के लिए सरकार ने एक IT टूल बनाया है, जो सभी तकनीकी इनपुट लेकर अनुमानित खर्च निकालता है.” हालांकि, यह जानकारी तुलनात्मक रूप से प्रतिशत में नहीं दी गई कि टोल से होने वाली आय कितनी अधिक या कम है, क्योंकि हर परियोजना की लागत अलग-अलग होती है.

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