दुनिया में पिछले कुछ समय में शाकाहार की ओर लोग आकर्षित हुए हैं. लोगों ने मांसाहार छोड़कर शाकाहार का रास्ता अपनाया है. अगर आप दुनिया के पहले शाकाहारी शहर को देखना चाहते हैं तो आपको गुजरात जाना पड़ेगा.

पालीताना सिर्फ भारत ही नहीं, पूरे विश्व का पहला पूरी तरह से शाकाहारी शहर है. गुजरात के भावनगर जिले में स्थित है. यह जैन धर्म का पालन करने वालों के लिए सबसे शुद्ध और सबसे पूजनीय गंतव्य में गिना जाता है. भावनगर से लगभग 50 किलोमीटर दक्षिण पश्चिम में पालीतना के नाम कई रिकार्ड हैं.

यह पूरी दुनिया में 900 से अधिक मंदिरों के साथ एकमात्र पर्वत होने का रिकॉर्ड रखता है. जैन अनुयायियों के लिए, सभी पालिताना मंदिर, पहाड़ के साथ−साथ एक धार्मिक दृष्टिकोण से बिल्कुल महत्वपूर्ण हैं. यह जैन समुदाय के लिए सबसे पवित्र तीर्थस्थल भी यहां पर है और इसे दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर परिसर माना जाता है.

पालीताना शत्रुंजय तीर्थ का बहुत महत्व

जैन मंदिरों का समूह है जो शत्रुंजय नदी के तट पर शत्रुंजय पर्वत की तलहटी पर बना है. यहां पहाड़ पर 863 जैन मंदिर स्थित हैं, जिनके दर्शन के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. पहाड़ी पर बने मंदिर मुख्य रूप से 24 तीर्थंकरों को समर्पित है. पहाड़ी की चोटी पर स्थित मुख्य मंदिर प्रथम तीर्थंकर भगवान श्री आदिनाथ को समर्पित है.

इसके अलावा कुमारपाल, मिलशाह, समप्रति राज मंदिर भी यहां के प्रमुख मंदिर हैं. जैन धर्म में पालीताना शत्रुंजय तीर्थ का बहुत महत्व है. जैन धर्म के पांच प्रमुख तीर्थों में से एक “शत्रुंजय तीर्थ की यात्रा करना प्रत्येक जैन अनुयायी अपना कर्तव्य मानता है. शत्रुंजय का अर्थ है “आंतरिक शत्रुओं पर विजय का स्थान” या “आंतरिक शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला”.

जैन किंवदंतियों और इतिहास से जुड़ा

पालीताना जैन किंवदंतियों और इतिहास के साथ जुड़ा हुआ है . कहा जाता है कि जैन तीर्थंकरों में प्रथम आदिनाथ ने शत्रुंजय पहाड़ी पर ध्यान किया था, जहां बाद में पालीताना मंदिरों का निर्माण किया गया था. पलिताना राज्य एक रियासत थी, जिसकी स्थापना 1194 में हुई थी. सफ़ेद संगमरमर में बने इन मंदिरों की नक़्क़ाशी व मूर्तिकला विश्वभर में प्रसिद्ध है.

11वीं शताब्दी में बने इन मंदिरों में संगमरमर के शिखर सूर्य की रोशनी में चमकते हुये एक अद्भुत छठा प्रकट करते हैं तथा मणिक मोती से लगते हैं. दैनिक पूजा के दौरान भगवान का श्रृंगार देखने योग्य होता है. 1618 ई. में बना चौमुखा मंदिर क्षेत्र का सबसे बड़ा मंदिर है. कुमारपाल, मिलशाह, समप्रति राज मंदिर यहाँ के प्रमुख मंदिर हैं. पालीताना में बहुमूल्य प्रतिमाओं आदि का भी अच्छा संग्रह है.

सूर्यास्त के बाद आने की नहीं मिलती अनुमति

सूर्यास्त के बाद किसी भी इंसान को ऊपर जाने की अनुमति नहीं होती है, जैन धर्म के प्रसिद्ध तीर्थ पालिताना को लेकर मान्यता यह भी है कि रात के समय भगवान विश्राम करते हैं. इसी वजह से रात के समय मंदिर को बंद कर दिया जाता है. इन मंदिरों के दर्शन के लिए गए सभी श्रद्धालुओं को संध्या होने से पहले दर्शन करके पहाड़ से नीचे उतरना पड़ता है.

इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहाँ आने वाले हर भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है, कोई भी भक्त यहां से निराश होकर और खाली हाथ नहीं लौटता है, यही वजह है कि जैन समुदाय से जुड़े लोग अपने जीवन में कम से कम एकबार इस मंदिर के दर्शन जरूर करते है.

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