रायपुर। भाजपा को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए कद्दावर आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने अपने फैसले के लिए पार्टी पदाधिकारियों की अवहेलना को बड़ी वजह करार दिया है. पार्टी की बेहतरी के लिए अपने प्रयास में असफल रहने और अपने समाज को आगे ले जाने के लिए कठिन निर्णय लिए जाने की बात कही.

NEWS 24 मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ से खास बातचीत में दिग्गज आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने अपनी पीड़ा बयां की. उन्होंने एक लंबी समय तक पार्टी में काम करने के बाद पार्टी छोड़ने के निर्णय के बारे में खुलासा करते हुए बताया कि समय और परिस्थितियां थोड़ी बदल जाती हैं. अटल बिहारी बाजपेयी, लाल कृष्ण आडवानी, सुषणा स्वराज, राजमाता विजयाराजे सिंधिंया जैसे नेताओं के साथ काम किए.

उन्होंने कहा कि हम छत्तीसगढ़ में लगातार कोशिश कर रहे थे कि पार्टी को कैसे मजबूत किया जाए. पदाधिकारियों से चर्चा में नए-पुराने लोगों को मिलाकर कार्यक्रमों में लगाने की बात कही. लेकिन पदाधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया. साय ने कहा कि हम विरोधी दल हैं इसलिए लोगों की समस्याओं के लिए जमीन पर लड़ने का काम, और कार्यकर्ताओं को उस लड़ाई में लगाने का काम करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि ये मेरा यह प्रयत्न सफल नहीं हो पाया. मेरी कोई सुनता नहीं था,और मैं बहुत व्यथित हो गया. और अंतत: लगा कि ये लोग पार्टी को डूबा रहे हैं, तो इतने लंबे समय संघर्ष में रहे हम लोग रहे, सफल नहीं होने पर सभी समाज को आगे बढ़ाने के लिए मुझे कुछ निर्णय करना होगा, यह निर्णय उसी को लेकर किया.

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