न्यमुद्दीन अली,अनूपपुर। मौत के बाद अपनों के कंधे का सहारा मिले, यह हर व्यक्ति की अंतिम इच्छा होती है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण तब होता है, जब इंसान को मौत के बाद भी अपनों का कंधा न मिलें। ऐसा ही अनूपपुर जिले में एक शख्स के साथ हुआ। परिवार का एकमात्र वृद्ध महिला की मौत के बाद उसे न तो कोई कंधा देने वाला था और ना ही अंतिम संस्कार करने वाला। ऐसे में गांव के सरपंच व सामाजिक कार्यकर्ता बेसहारा के लिए न केवल सहारा बने बल्कि पूरे विधि विधान के साथ उसका अंतिम संस्कार कर इंसानियत की एक मिसाल पेश की है। सरपंच के इस कदम की लोगों ने सराहना की है।

जानकारी के अनुसार अनूपपुर जिले के कोतमा तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत पिपरहा के पेजहाटोला में 60 वर्षीय गीता बाई अकेली रहती थी। उनके परिवार में कोई भी सदस्य नहीं थे। पति के गुजर जाने के बाद असहाय वृद्ध महिला मवेशियों को चराकर अपना गुजर बसर कर रही थी। (इंसानियत की मिसाल) अचानक बीमार पड़ जाने पर उसे गंभीर अवस्था में उपचार के लिए जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था।

जहां उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया। परिवार में उस वृद्ध महिला को कंधे देकर अंतिम विदाई देने के साथ साथ उसका अन्तिम संस्कार करने वाला कोई नहीं था। ऐसे में जिले के सामाजिक कार्यकर्ता शशिधर अग्रवाल व गांव के सरपंच सहित पुलिसकर्मियों के साथ उस लावारिश शव के वारिस बनकर उसका अंतिम संस्कार कर इंसानियत की मिसाल पेश की है।