रजनी मैथिली, रायपुर। राजधानी रायपुर में सर्व आदिवासी समाज एक मंच पर बैठकर एकता की बात कह रहे थे. मंच पर बस्तर के आदिवासी नेता भी मौजूद थे. पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरविंद नेताम और पूर्व सांसद सोहन पोटाई भी मंच पर थे. चुनाव की प्रकिया चल रही थी. सर्व आदिवासी समाज ने अपने अध्यक्ष की घोषणा कर दी थी. लेकिन जैसे ही सर्व आदिवासी समाज ने रिटायर्ड आईएएस बीपीएस नेताम को अध्यक्ष चुना. इसी बीच मंच से एक आवाज उठी. ये आवाज थी बस्तर के आदिवासियों की सदस्यता को लेकर. ये आवाज थी पृथक बस्तर की मांग कर रहे पूर्व सांसद सोहन पोटाई की. सोहन पोटाई ने मंच से सर्व आदिवासी समाज में बस्तर के आदिवासियों को सदस्यता नहीं दिए जाने का विरोध शुरू कर दिया. सोहन पोटाई के विरोध के बाद उनके समर्थकों ने पृथक बस्तर की मांग के साथ नारेबाजी शुरू कर दी. बस फिर क्या था चुनाव प्रकिया के बीच ही सोहन पोटाई ने और बस्तर के कुछ आदिवासी नेताओं ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया.
सोहन पोटाई ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में कहा कि इस चुनाव को हम चुनाव नहीं मानते हैं अब अलग बस्तर के साथ ही बस्तर के आदिवासियों के साथ समाज का नेता चुनेंगे. जिने सर्व आदिवासी समाज का अध्यक्ष चुना गया उन्हें बधाई. हमारा विरोध इस बात को लेकर है कि बस्तर के आदिवासियों को सदस्यता नहीं देना बहुत ही गलत है.
वहीं इस दौरान दूसरी बार अध्यक्ष बने बीपीएस नेताम कुछ घबराए से दिखें. उन्होंने इस घटनाक्रम पर फिलहाल कुछ भी कहने से मना कर दिया. नेताम जी बस यही कहते रहे कि अगर विवाद नहीं सुलझा तो वे अपना वापस भी ले सकते हैं. जाहिर तौर पर इस घटना ने ये सवाल तो खड़ा ही कर दिया है कि क्या सर्व आदिवासी समाज दो गुटों में बंट गए है ?