सत्यपाल सिंह/वैभव बेमेतरिहा। छत्तीसगढ़ की राजधानी में एक अस्पताल है. नाम है डीकेएस. पूरा नाम दाऊ कल्याण सिंह अस्पताल. छत्तीसगढ़ के दानवीर दाऊ कल्याण सिंह के नाम पर बना अस्पताल. सरकार को यहाँ अस्पताल बनाने दाऊ कल्याण सिंह ने अपनी बेशकीमती जमीन दान में दी थी. इस अस्पताल का बड़ा नाम रहा. लेकिन आज यह नाम बड़ा बदनाम हो चला है. दाऊ के नाम वाले अस्पताल पर पुनीत नाम वाले ने अनगिनत दाग लगा डाले हैं. इस दाग के एक हिस्से का किस्सा आज हम सुनाने जा रहे हैं. कुछ तस्वीरें दिखाने जा रहे हैं, अंदर का असल सच दिखाने जा रहे हैं. सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का वह सच जिसे अब तक छिपाया गया है.
सबसे पहले आप जरा इस तस्वीर को देखिए. अंदाजा लगाइए अस्पताल में भला इस टेबल फैन का क्या काम ? अगर काम है भी तो इसे यहाँ लेकर आया कौन है ? इस सुपर क्लास अस्पताल में भला इस कमजोर थर्ड क्लास पंखे का क्या काम ? उस अस्पताल में जिसे पूर्व की रमन सरकार ने संवारने अपने डॉ. दामाद को पूरी तरह से खुली छूट दे दी थी. उस अस्पताल में जहाँ पूर्व स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर की भी पैनी निगाहें थी. खैर अब छोड़िए पूर्व की क्यों वर्तमान की बात करते हैं. उस वर्तमान की जिसे आप तस्वीरों में देख रहे हैं. जिसे देख आपके मन में ढेरों सवाल उठ रहे हैं.
चलिए आपको बताते हैं कि असल में माजरा है क्या. दरअसल इस सुपर क्लास अस्पताल में ये थर्ड क्लास पंखा वो गरीब परिवार अपने साथ लेकर आते हैं जिनकी हैसियत निजी बड़े अस्पतालों में अपने पीड़ितजन का इलाज कराने की नहीं है. अब आप कहेंगे कि गरीब परिवारों के लिए ही तो सुपर स्पेशलिटी वाला पुनीत हॉस्पिटल है. ध्यान रखिएगा पुनीत अस्पताल मतबल एक पुण्य अस्पताल. लेकिन असल में यह पुण्य है नहीं. यहाँ तो करप्शन का ऐसा खेल चला कि जिसकी कीमत यहाँ आने वाले मरीज चुका रहे हैं.
सोच रहे होंगे कैसे ? अजी कैसे का ही तो उत्तर ये टेबल फैन है. जिसके सहारे यह मरीज इस सुपर डूपर हॉस्पिटल में इलाज करा रहा है. आराम मिले न मिले लेकिन सुकून मरीज को भला इसे लेकर ही होगा कि इस भीषण गर्मी में कम से उनके सामने एक पंखा तो है, अपना पंखा…और सुकून इसे लेकर भी इस पंखे को यहाँ तक लाने की इजाजत.
लेकिन इजाजत क्यों ? और ये इजाजत भला दी किसने ? खैर जिसने भी दी हो. लेकिन सवाल तो अभी यही है कि मरीज के परिवार वाले पंखा लेकर आ क्यों रहे हैं ? जाहिर है आप सब समझ ही गए होंगे. वैसे भी ये पब्लिक है सब जानती है. अजी अंदर क्या है…अजी बाहर क्या है….? तो साबह बाहर जो है वो तो 50 करोड़ के घोटाले के बीच फंसे पूर्व अधीक्षक को देख ही रहे हैं…लेकिन अंदर क्या है इसे हम दिखा रहे हैं. तो लीजिए मुख्यमंत्री जी….स्वास्थ्य मंत्री जी…मुख्य सचिव जी…आप भी देख लीजिए….जी हाँ बहुत बारिकी…हो सके तो अंदर तक जाके जरा करीब से….ये डीकेएस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल. इस सुपर-डूपर क्लास सुविधा वाले अस्पताल अपने उद्घाटन के साथ समस्याओं से घिरा हुआ है. यहाँ बीते तीन माह से एसी बंद पड़े हैं. एक-एक कर यहाँ एसी खराब होते जारी है. अस्पताल के भीतर पंखा तक नहीं…और तो और मेकाहारा की तरह यहाँ भी चुहों ने अपनी पैठ जमा ली. यहां मरीज इसी तरह भीषण गर्मी के बीच पड़े हुए हैं…मजबूरी ऐसी कि इन्हें अपने साथ पंखा लेके आना पड़ रहा है.
अभी तक आपने जिस तस्वीर को देखा है उसी तस्वीर में अपने बेटा का इलाज करा रही एक बेबस माँ कृष्णा मधुकर भी है. कृष्णा मधुकर यहाँ अपने बेटे का इलाज करा रही है. कृष्णा कहती हैं कि अस्पताल में उन्हें भीषण गर्मी में अपने बेटे को रखना पड़ रहा है. बाहर से वह पंखा खरीदकर लाई हैं ताकि कुछ राहत मिल सके अस्पताल प्रशासन से तो कोई राहत नहीं.
वैसे मुखिया जी, मंत्री जी आप यह भी जान लीजिए भले ही यहाँ आईसीयू से लेकर वार्ड तक में एसी बंद हो लेकिन अधिकारियों के कमरे पूरी तरह से कुल-कुल हैं. अधिकारियों के कमरे में एसी चालू हैं…ये और बात है कि मरीज तड़प रहे हैं, गर्मी में जल रहे हैं.
आपको यह भी बता दे कि अस्पताल की इस बदहाल स्थिति पर अधीक्षक किस तरह से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं या कहिए इस मामले से बचना चाह रहे हैं. अधीक्षक के.के सहारे कहते हैं एक के बाद एक लगातार एसी खराब हो रही है. आईसीयू में पंखे और कुलर नहीं हैं क्योंकि सभी एयरकंडिशन है. फिलहाल स्थिति बिगड़ने के बाद पंखे और कुलर की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है. सहारे ये सब बता ही रहे थे कि उन्होंने लगे हाथ इस कथा में यह व्यथा भी सुना दी है. उन्होंने कहा कि एसी के कुछ पार्ट्स चोरी हो गए हैं, चुहों ने सेंसर काट दिया है. अधीक्षक महोदय का कहना है कि व्यवस्था दुरस्त किया जा रहा है. ठेका कंपनी को नोटिस दिया गया है.
मतलब जैसा हाल पूर्व में था अब लीजिए वर्तमान में भी है. सवाल इस बात को लेकर क्या घटिया एसी सिस्टम लगाया गया था ? क्या एसी लगाने में ठेकदार ने गड़बड़ी की थी. इतनी खराब स्थिति की तीन महीने के भीतर एयरकंडिशन सुपर अस्पताल बदहाल हो गया है. और क्या नई सरकार भी इस व्यवस्था को ठीक नहीं कर पा रहे हैं. या फिर मंत्री जी यहां के स्थितियों से छिपाने का प्रयास किया गया है ?
अब बताइए स्वास्थ्य मंत्री जी इस अव्यवस्था पर या सुपर अस्पताल की इस व्यवस्था पर क्या कहे ? किसे जिम्मेदार ठहराए ? आप सिस्टम को ठीक करने में लगे हैं यहाँ सिस्टम है कि सुधर ही नहीं रहा. वैसे बतौर स्वास्थ्य विभाग के मुखिया बनने के बाद से आपकी संवेदनशीलता देखने को मिलती रही है. उम्मीद है डीकेएस में मरीजों के साथ हो रहे अन्याय में जल्द ही ‘न्याय करेंगे. वैसे भी आप और सरकार तो ‘न्याय’ के साथ हैं!