पुरुषोत्तम पात्रा, गरियाबंद. सुपेबेड़ा मामले को लेकर हाईकोर्ट के निर्देश पर राज्य विधिक सेवा का एक दल आज जांच के लिए सुपेबेड़ा पहुंचा है. दल के सुपेबेड़ा पहुंचते ही ग्रामीणों ने खामिया गुनाना शुरू कर दिया. दल के साथ चर्चा करते हुए ग्रामीणों ने बताया की दूषित पानी पीने की वजह से अब तक 62 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके बाद भी प्रशासन की ओर से यहां की व्यवस्था दुरूस्त नहीं की गई है.
हाईकोर्ट के निर्देश पर आज वरिष्ठ अधिवक्ता फौजिया मिर्जा के साथ चार सदस्यीय जांच दल सुपेबेड़ा पहुंचा. दल में प्राधिकरण के पदाधिकारी उमेश उपाध्याय, दिग्विजय सिंह के अलावा बायो केमिस्ट शाखा के एक अधिकारी भी मौजूद रहे. दल ने ग्रामीणों के बीच पहुंचकर विभिन्न बिन्दुओं पर जानकारी एकत्र की. जिसकी रिपोर्ट तैयार कर यह जांच दल हाईकोर्ट को सौपेंगा.
ग्रामीणों ने गिनाई खामियां
जांच दल द्वारा पूछे जाने पर ग्रामीणों ने एक एक कर खामियां गिनाई. ग्रामीणों ने दल के सदस्यों को बताया कि मेकाहारा में मरीज को भर्ती के बाद दवा बाहर से खरीदने के लिए कहा जाता है. जिसकी कीमत उनके बजट से बहार होती है. डायलिसिस की स्थानीय स्तर पर कोई सुविधा नहीं है. पेयजल के लिये लगे 90 लाख का रिमूवल प्लांट से अब तक शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है. टेंकर के माध्यम से भी पीने का पानी नहीं पहुंचाया जाता है. जिसके चलते उन्हें दुसित पानी पीने को मजबूर है.
बच्चों पर भी देखा दूषित पानी का असर
जांच के दरम्यान दल की नजर ग्रामीण बच्चों पर पड़ी. दल ने सभी बच्चों के दांत को देखा. इन पर वहां के पानी में मानक से कई गुना ज्यादा मौजूद फ्लोराइड और आरसनिक का असर स्पष्ट दिख रहा था.
मृतको के परिजनों से मिला दल
इस दौरान दल के सदस्यों उन परिवारों से भी मुलाकात की, जिनकी मौत दूषित पानी पीने से हुई बिमारी से हुई थी. उसमें मृतक शिक्षाकर्मी का परिवार भी शामिल था. चर्चा के दौरान परिवार के सदस्यों ने बताया कि सरकार द्वारा घोषित 50 हजार की मुआवजा राशि भी अब तक नहीं मिली है.