हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्यप्रदेश में कांस्टेबल भर्ती को लेकर अब गंभीर आरोप सामने आए हैं। यह मामला न केवल सिस्टम की पोल खोलता है बल्कि इस बात पर भी सवाल खड़ा करता है कि क्या पुलिस भर्ती में अब योग्यता नहीं, रुपये ही चल रहे हैं?
कांस्टेबल भर्ती में 6 से 6.80 लाख रुपए तक लगते
दरअसल, इंदौर की एक युवती, जो पुलिस कांस्टेबल भर्ती की तैयारी कर रही है, को एक कॉल आया। कॉल करने वाला खुद को एमपी पुलिस का कर्मचारी बताता है। उसने कहा – “मैं इंदौर के विजयनगर थाने में पदस्थ था, देवास जिले का रहने वाला हूं, लेकिन घर इंदौर में ही है।” युवक यहीं नहीं रुका। उसने दावा किया कि वह अब तक भोपाल से 29 फाइलों पर साइन करवा चुका है और कहा कि कांस्टेबल भर्ती में 6 से 6.80 लाख रुपए तक लगते हैं। इसमें से आधा पैसा भर्ती से पहले और बाकी का आधा नौकरी लगने के बाद देना होता है।
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बातचीत रिकॉर्ड कर ली और lalluram.com को ऑडियो भेजा
युवती ने उसकी पूरी बातचीत रिकॉर्ड कर ली और lalluram.com को ऑडियो भेजा। उस ऑडियो में युवक बड़ी बेखौफी से कहता सुनाई देता है-“मैं फिलहाल भोपाल जा रहा हूं, तीन फाइलों के अफसर को पेमेंट करना है… तुम चिंता मत कर, सब सेट है, एग्जाम से लेकर फिजिकल तक मैं करवा दूंगा।” अब सोचिए! एक ओर हजारों युवा दिन-रात पसीना बहा रहे हैं, अपने माता-पिता की उम्मीदों के साथ मेहनत कर रहे हैं- और दूसरी ओर कोई खुद को पुलिसकर्मी बताकर खुलेआम भर्ती की डील कर रहा है।
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जनता न्याय की उम्मीद किससे करे?
सबसे हैरान करने वाली बात तब सामने आई जब युवती शिकायत लेकर पुलिस के पास पहुंची। शिकायत दर्ज करने के बजाय पुलिस ने कहा-“आप उसका फोन उठाना ही बंद कर दो।”यानी कि भ्रष्टाचार की जड़ वहीं से दबा दी गई जहां से कार्रवाई की उम्मीद थी। सवाल ये है-जब रक्षक ही भक्षक बन जाएं, तो जनता न्याय की उम्मीद किससे करे? इस पूरे मामले में अब तक पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है। लेकिन युवती ने उस शख्स के साथ हुई चैट और रिकॉर्डिंग lalluram.com को सौंप दी है।
सिस्टम के अंदर तक पहुंच रखने वाला व्यक्ति
ऑडियो में जिस बेफिक्री से वह युवक पैसे की डील करता है, उससे साफ झलकता है कि यह कोई साधारण धोखेबाज नहीं, बल्कि सिस्टम के अंदर तक पहुंच रखने वाला व्यक्ति हो सकता है। अगर यह सब सच है, तो यह सिर्फ एक रिश्वतखोरी का मामला नहीं, बल्कि एमपी पुलिस भर्ती प्रक्रिया की साख पर गहरा दाग है। मेहनती युवाओं का भविष्य, माता-पिता की उम्मीदें और समाज की सुरक्षा व्यवस्था सब कुछ इस भ्रष्ट तंत्र के नीचे दबता जा रहा है।
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अब बड़ा सवाल यह है
क्या यह शख्स सचमुच एमपी पुलिस विभाग में ही है? क्या भोपाल तक वाकई ऐसी “फाइलें” साइन हो रही हैं?और सबसे अहम, पुलिस कब कार्रवाई करेगी? जब तक इन सवालों के जवाब नहीं मिलते, तब तक यह मामला सिर्फ एक फोन कॉल नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम पर लगा हुआ एक भ्रष्टाचार का कलंक है।

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