बलरामपुर. प्रदेश में एक बार फिर बदहाल शिक्षा व्यवस्था की कहानी कहता हुआ मामला प्रकाश में आया है. जहां कक्षा पांचवी का एक छात्र अपना नाम तक नहीं लिख पा रहा है. इस बात की शिकायत खुद इस छात्र ने अंगूठा लगाकर बाल कल्याण समिति के सामने की है. इस मामले के प्रकाश में आने के बाद प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की न्याय पीठ ने शिक्षा विभाग को नोटिस जारी किया है. न्याय पीठ ने इस मामले को आदिवासी छात्र के साथ धोखाधड़ीपूर्ण कार्य माना है और इसके लिए आगे की कार्रवाई के लिए विभाग को निर्देशित किया है. इस आदेश के बाद शिक्षा विभाग में हड़कम्प मच गया है.

मामला बलरामपुर का है जहां कक्षा पांचवी पास कर चुका छात्र धीरज नागवंशी सही तरीके से अपना नाम तक नहीं लिख पा रहा है. इस मामले के प्रकाश में आने के बाद बाल कल्याण समिति जो कि प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की न्याय पीठ है ने इसे गंभीरता से लिया है. न्याय पीठ ने इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी,खण्ड शिक्षा अधिकारी,और प्रा,शा,कृष्णनगर के प्रधान पाठक को नोटिस जारी किया है.

जारी नोटिस में उल्लेख किया गया है कि “कक्षा पांचवी पास छात्र धीरज नागवंशी अपना हस्ताक्षर करने में असमर्थ है तथा समिति के समक्ष अंगूठा लगाया है तथा शिकायत की है कि स्कूल में उसे कभी पढ़ाया ही नहीं गया है. जबकि बालक अपना नाम तक नही ​लिख पाता है,तो उसे कक्षा 5वीं का शिक्षा पूर्णता प्रमाण पत्र कैसे जारी किया गया, कक्षा 5वीं उत्तीर्ण बालक यदि अंगूठा छाप है तो यह किसकी जिम्मेदारी है. कक्षा 5वीं उत्तीर्ण होने के बावजूद भी बालक शिक्षित होना तो दूर साक्षर भी नहीं हो सका. इस बालक को 5वीं की शिक्षा पूर्णता प्रमाण पत्र जारी करना एक आदिवासी बालक के साथ धोखाधड़ी पूर्ण कार्य की श्रेणी में आता है. अत: आपको निर्देशित किया जाता है कि उक्त बालक की शिक्षा के संबंध में आगे क्या किया जायेगा. इस संबंध में प्रतिवेदन दिनांक 26.03.18 तक समिति के समक्ष प्रस्तुत कराना सुनिश्चित करें”.

हालांकि यह आदेश 16.03.18 को निकाला गया था और जिसमें इस मामले में प्रतिवेदन देने के लिए 26.03.18 तक का समय दिया गया है लेकिन यह पत्र अब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है. जिसके बाद यह मामला लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है. ‘लल्लूराम डॉट कॉम इस पत्र की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है’.