प्रतीक चौहान. रायपुर. रेलवे स्टेशन के आरक्षण केंद्र में लगी आग के मामले में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. इस पूरे मामले में ऐसे कई सवाल हैं जिसे आरपीएफ और कमर्शियल विभाग के अधिकारी-कर्मचारी छिपाने में लगे हुए है और अब पूरा मामला एक गरीब बुजुर्ग के इर्द-गिर्द लाकर छोड़ दिया गया है और इस पूरे मामले में कई प्रकार का खेल शुरू हो गया है.
सबसे हैरानी की बात ये है कि आरक्षण केंद्र में चोरी होती है. लेकिन इस बात को आरपीएफ से रेलवे कर्मचारी छिपा लेते है. लेकिन जैसे ही 3 कर्मचारियों को सस्पेंड किया जाता है वैसे ही दोपहर करीब 1 बजे आरक्षण केंद्र में चोरी की थ्यूरी सामने आती है. जबकि आरक्षण केंद्र जब खुला तभी स्टॉफ ने ये देख लिया था कि वहां से कम्प्यूटर का मॉनिटर चोरी हो गया है. अब सवाल ये है कि ये जानकारी पहले क्यों छिपाई गई.
जिस खिड़की से घुसा चोर, उसे किसने खोला ?
आरपीएफ की पूछताछ में चोर ने ये बताया है कि वो आरक्षण केंद्र के पिछले हिस्से में मौजूद खिड़की से घुसा. वो तब घुसा जब अंदर से मौजूद स्टॉफ ने रात 11 बजे के बाद पान खाकर थूंकने के लिए खोला था और वहीं से चोर अंदर घुसा. चोर की बात में कितनी सच्चाई है इसका खुलासा सीसीटीवी फुटेज से होगा. जबकि ये भी संभावना है कि चोर खिड़की से न घुसकर मेन गेट से ही अंदर गया हो. क्योंकि वह पहले से खुला था और इसी गेट से कमर्शियल विभाग के तीन कर्मचारी बार-बार जाना-आना करते हुए दिखाई दे रहे है. लेकिन आरपीएफ ने ये सीसीटीवी फुटेज अभी मीडिया के साथ शेयर नहीं किया है.
अब और हैरान करने वाली बात आप जान लीजिए. सूत्र बताते है कि कमर्शियल विभाग की एक क्लर्क ने ये लिखित बयान दिया है. जिसमें उसने बताया है कि आरक्षण केंद्र की चाबी रात करीब 10.30 बजे रेलवे स्टेशन के अनारक्षण टिकट केंद्र में जमा कर दी गई थी. लेकिन यदि ये सच है तो फिर आरक्षण केंद्र में 3 स्टॉफ उसे खोलकर अंदर दारू पार्टी करने कैसे गए?
क्या आरक्षण केंद्र की डुप्लीकेट चाबी मौजूद है ? जिसके सहारे वे आरक्षण केंद्र में अक्सर दारू पार्टी करने आते-जाते हो. इतना ही नहीं आरपीएफ ने वो सीसीटीवी फुटेज की जांच क्यों नहीं की जिसमें सफाई कर्मचारी दारू की बोतल और अन्य सामान को सुबह अंदर से हटा लिया गया. एक जांच का पहलू ये भी है कि क्या खिड़की से ही दारू और पार्टी के लिए अन्य सामान लाया गया हो.
चोरी का मामला तो दर्ज हो गया…. लेकिन शासकीय दस्तावेज जले उसका क्या ?
इस मामले में रेलवे और आरपीएफ ने अपनी जांच मानो समेट ली हो. क्योंकि एक गरीब चोर उन कर्मचारियों के लिए वरदान साबित हो गया जो कम्प्यूटर चोरी करते सीसीटीवी फुटेज में दिखाई दे रहा है. लेकिन सबसे अहम सवाल ये है कि जो शासकीय दस्तावेज जले है, जिसमें टिकट बनाने वाले व्यक्तियों के कई सबूत मौजूद थे, जिसकी जांच आरपीएफ एक कमर्शियल अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद कर रही थी.
सस्पेंशन और उसे निरस्त करने की इतनी हड़बड़ी क्यों?
इस मामले में कमर्शियल विभाग के सीनियर डीसीएम भी सवालों के घेरे में है. सवाल ये है आरक्षण केंद्र में पार्टी करने वाले 3 कर्मचारियों को आनन-फानन में सस्पेंड कर दिया गया. लेकिन जैसे ही चोर पकड़ाया वैसे ही बिना जांच रिपोर्ट दाखिल किए उन्हें बहाल कर दिया गया और अब फिर से 3 अधिकारियों की कमेटी बनाई गई है जो जांच कर रही है. जिसका नतीजा क्या आना है और कैसे आना है ये सभी रेलवे अधिकार-कर्मचारियों को पता है.