रायपुर. जनता कांग्रेस का चुनाव चिन्ह ‘हल चलाता किसान’ दिल्ली निर्वाचन आयोग के जरिये अजीत जोगी को कैसे मिला…? क्या है आखिर इसके पीछे की कहानी…? ये सवाल हमारे भी मन में कई दिनों से कौंध रहा था कि ‘हल चलाता किसान’ जनता कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह कैसे बना…? आखिर छत्तीसगढ़ की अस्मिता से जुड़ा चुनाव चिन्ह दिल्ली में जोगी को कैसे मिला…? इस संबंध में जब हमने जनता कांग्रेस के प्रवक्ता सुब्रत डे से बातचीत की तो उन्होंने हमें कई दिलचस्प जानकारी दी.

सुब्रत डे ने आखिर चुनाव चिन्ह को लेकर क्या कहा, ये आपको पहले बता देते हैं. फिर आपको बताएँगे कि आखिर चुनाव चिन्ह मिलने के पीछे असली कहानी क्या है…? सुब्रत डे ने बताया कि पहले जनता कांग्रेस ने नारियल का चुनाव चिन्ह चयन किया था. नारियल छत्तीसगढ़ में ‘मितान’ परंपरा में सबसे अहम है. चूँकि नारियल चुनाव चिन्ह गोवा की एक पार्टी ने ले लिया तब ‘मितान’ के बाद ‘किसान’ का  ख्याल आया.

सुब्रत डे ने छत्तीसगढ़ के किसानों की दर्द भी बयां करते हुए भाजपा और कांग्रेस दोनों पर कई आरोप लगाये. डे ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के गृह जिला कवर्धा में सबसे अधिक किसानों ने आत्महत्या की है. उसके बाद मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह का ही निर्वाचित क्षेत्र जिला राजनांदगांव में किसानों की आत्महत्या मामले में दूसरे नंबर है. वही नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव के गृह ग्राम अंबिकापुर किसानों की आत्महत्या मामले में तीसरे नंबर पर है.

अब आपको बताते हैं हल चलाता किसान चुनाव चिन्ह के बारे में… जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे ने जब अपना चुनाव चिन्ह नारियल माँगा था लेकिन चुनाव चिन्ह नारियल गोवा के एक पार्टी ने ले लिया उसके बाद चुनाव चिन्ह को लेकर जनता कांग्रेस के सुप्रीमो अजीत जोगी भी चिन्तित थे. निर्वाचन आयोग द्वारा किसी भी पार्टी को चुनाव चिन्ह देने का नियम चुनाव के छह महीना पहले देने का नियम है. जनता कांग्रेस के सुप्रीमो अजीत जोगी ऐसा चुनाव चिन्ह चाहते थे जिसका छत्तीसगढ़ और जनता से अटैचमेंट हो. जिसे आसानी से प्रचार प्रसार किया जा सके. भावनाओं से जुड़ा असर चुनाव चिन्ह में लाना किसी चुनौती से कम नहीं था.

इसे गोपनीयता बनाए रखना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है क्योंकि छतीसगढ मध्य प्रदेश राजस्थान तीन राज्यों में चुनाव होना था और वहाँ भी कई नई पार्टियां तीनों राज्यों में चुनाव लड़ने के लिए मैदान में थे. सभी पार्टियों को नए चुनाव चिन्ह आवंटन होने थे. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे )पार्टी का निर्वाचन का कार्य देख रहे महासचिव योगेश तिवारी और कोषाध्यक्ष पंकज शर्मा पार्टी के चुनाव चिन्ह के लिए दिल्ली निर्वाचन कार्यालय में संपर्क कर ऐसा चुनाव चिन्ह जिससे छतीसगढ की जनता का भावनाएँ जुड़ा हो ऐसा चुनाव चिन्ह ढूंढना शुरू किया.

पंकज शर्मा ने जब निर्वाचन में संपर्क किया तो निर्वाचन वालों ने कहा कि आप भी ऐसा कोई चुनाव चिन्ह ड्राइंग डिज़ाइन करके हमें दें जो किसी भी दूसरी पार्टी के चुनाव चिन्ह से मिलान ना खाता हो. उसी समय से पंकज शर्मा ने निर्वाचन के वेब पोर्टल और अपने दिमाग़ से नए ड्राइंग डिज़ाइन तैयार कर जनता कांग्रेस के सुप्रीमो अजीत जोगी को दिखाया. अजीत जोगी ने छत्तीसगढ़ के अस्मिता से जुड़ा हुआ हल चलाता किसान यह चुनाव चिन्ह को फ़ाइनल किया. बड़ी गोपनीयता के साथ पंकज शर्मा ने आगे बढ़ते हुए निर्वाचन में छह जुलाई सुबह 8 -30 बजे जमा करवाया. क्योंकि निर्वाचन का नियम पहले आओ पहले पाओ इस नियम को फ़ॉलो करना था. तब जाकर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़( जे ) को उसका चुनाव चिन्ह हल चलाता किसान मिल पाया. हालाँकि ये जानकारी हमें विश्वसनीय सूत्रों से मिला है.

इस संबंध में जब हमने पार्टी प्रवक्ता से इसकी पुष्टि करनी चाही तो वे इस सवाल पर न्यूट्रल नजर आये. उन्होंने ये बात ना साफ़-साफ़ स्वीकार की और ना ही साफ़-साफ़ इनकार किये. कुछ और बताते चलें कि नियमतः चुनाव चिन्ह में किसी धर्म से जुड़ा चिन्ह नहीं रखा जा सकता था. साथ ही पशु क्रूरता अधिनियम के तहत चुनाव चिन्ह में किसी पशु का भी ड्राईंग नहीं खींचा जा सकता था. इसलिए ही हल चलाता किसान चुनाव चिन्ह में आपको हल में जूते बैल नहीं दिख रहे हैं.