कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। 22 जनवरी को भव्य राम मंदिर में भगवान श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। मंदिर बने इसे लेकर हजारों की संख्या में लोगों ने अपना सब कुछ न्यौछावर कर दिया था। ग्वालियर के रहने वाले ऐसे ही एक कार सेवक रामभक्त दिनेश कुशवाह ने राम मंदिर आंदोलन के दौरान आत्मदाह ही कर लिया था। उनके इस बलिदान को सभी याद करते हैं।
बिस्तर पर बैठी ये बुजुर्ग मां अपने बेटे की तस्वीर को आज भी यूं ही निहारती रहती है जैसे उनका बेटा उनकी आंखों के सामने है। ये रामभक्त कार सेवक दिनेश कुशावाह की बुजुर्ग मां छुम्मो बाई है। दिनेश ने राम मंदिर आंदोलन के दौरान मंदिर बनने में आ रहे व्यवधान को लेकर आत्मदाह कर लिया था। इस आत्मदाह के पीछे उनका मकसद अपने जीवन को न्योछावर कर अन्य कार सेवकों में जोश और जुनून लाना था। बेटे दिनेश के इस बलिदान के बाद उनकी मां छुम्मो ने भी राम मंदिर बनने औऱ वहां दर्शन करने का संकल्प सजोया। राम मंदिर के तैयार होने से वो संकल्प तो पूरा हो गया है, लेकिन दिनेश के परिवार को न तो राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में आने के लिए निमंत्रण मिला है ना ही स्थानीय प्रशासन ने उनकी कोई सुध ली है।
ग्वालियर में किया था आत्मदाह
ग्वालियर के गांधीनगर के दिनेश कुशवाह ने राम मंदिर आंदोलन में कार सेवक की भूमिका निभाई थी। 1992 में जब अयोध्या के लिए कार सेवा शुरू हुई थी तब हजारों राम भक्त ग्वालियर चंबल अंचल से कार सेवा के लिए रवाना हुए थे। दिनेश पारिवारिक कार्य के चलते कार सेवा के लिए अयोध्या नहीं जा पाए। उस दौरान ग्वालियर में मौजूद दिनेश कुशवाहा को सूचना मिली कि उत्तर प्रदेश की मुलायम सरकार ने कार सेवा की अनुमति नहीं दी। खबर फैल गई कि ग्वालियर चंबल अंचल के कार सेवकों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस खबर को सुन दिनेश कुशवाह इतने व्यथित हुए की उन्होंने नई सड़क इलाके में आत्मदाह कर लिया, ताकि कार सेवा में मौजूद कार सेवकों में जोश लाया जा सके। इस घटना को आज 33 साल हो चुके हैं।
क्या कहा मां ने ?
दिनेश की बुजुर्ग मां छुम्मो बोल नहीं पाती, बिस्तर पर बैठे बैठे ही अपने बेटे दिनेश की तस्वीर को निहारती रहती है। दिनेश के परिवार को इस बात का अफसोस है किसी ने भी उनकी सुध नहीं ली और न ही उनको राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आने का निमंत्रण मिला है। परिजनों की मांग है कि दिनेश कुशवाह को शहीद का दर्जा दिया जाए और अयोध्या में कार सेवकों ले लिए बन रहे शहीद स्मारक पर उनका नाम भी अंकित किया जाए। परिवार की इस मांग पर ग्वालियर सांसद विवेक नारायण शेजवलकर ने संज्ञान लिया है, उनका कहना है कि रामभक्त दिनेश कुशावाह का नाम उस स्मारक में शामिल होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं हो रहा है तो यूपी (UP) सरकार से इस बाबत बात कर उनके नाम को शामिल कराया जाएगा। ताकि उनके बलिदान को सम्मान मिल सके।
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