राकेश चतुर्वेदी,भोपाल। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के पूर्व डायरेक्टर एनके त्रिपाठी ने दावा किया है कि 1984 में पहली बार पुलिस कमिश्नर सिस्टम की पहल हुई थी. इस सिस्टम को 35 साल से जानबूझकर अटका कर रखा गया है. IAS लॉबी ने ही पुलिस का पॉवर नहीं बढ़ने दिया.
NCRB) के पूर्व डायरेक्टर एनके त्रिपाठी का दावा है कि तात्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू करना चाहते थे. लेकिन अफसरों ने मुख्यमंत्री को ही गुमराह कर दिया था. वो इस सिस्टम को लागू करना चाहते थे. राज्य सरकार को लागू करने के अधिकार थे. लेकिन फाइल नियम विरुद्ध केंद्र सरकार को भेज दी गई थी.
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अर्जुन सिंह की तरह दिग्विजय भी हट गए थे पीछे
उन्होंने आगे बताया कि केंद्र को भेजी गई फाइल में यह भी मार्क कर दिया गया था कि मप्र आदिवासी क्षेत्र है, इसलिए पुलिस कमिश्नर सिस्टम की जरूरत नहीं है. इसके बावजूद दिग्विजय सिंह भी पुलिस सिस्टम लागू नहीं करवा पाए. अर्जुन सिंह की तरह दिग्विजयसिंह भी पीछे हट गए थे.
IAS नहीं चाहते IPS के हाथ में जाए पॉवर
वरिष्ठ राजनेता मानक अग्रवाल का कहना है कि पुलिस कमिश्नर सिस्टम अटकाने का खेल होता रहा है. अटकाने को लेकर कुछ दूसरे कारण भी रहे हैं. आईएएस नहीं चाहते पॉवर आईपीएस के हाथ में चले जाए. कलेक्टर के पास पाॅवर रहे इसलिए अटका देते थे. अब वर्तमान में परिस्थितियां बदल गई हैं. अब प्रदेश में सिस्टम लागू हो सकता है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के करीबी नेता रहे हैं मानक अग्रवाल.
गृह विभाग को भेजा गया ड्राफ्ट
भोपाल-इंदौर में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होगा. इसके लिए पुलिस मुख्यालय ने गृह विभाग को ड्राफ्ट भेजा है. गृह विभाग प्रस्ताव का बारीकी से अध्ययन करेगी. नए सेटअप में अधिकार और मेट्रोपॉलिटिन एरिया कैबिनेट तय करेगी. इससे पहले 2016 में पुलिस मुख्यालय ने राज्य शासन को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन प्रस्ताव अटका रहा.
भविष्य अच्छा बनाना है- नरोत्तम मिश्रा
35 साल से अटके पुलिस कमिश्नर सिस्टम को लेकर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि भूतपूर्व में नहीं जाना है, हमें भविष्य अच्छा बनाना है. लेकिन अब पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू हो रहा है.
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