हेमंत शर्मा, इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर के स्वास्थ्य विभाग में इन दिनों बड़ा घमासान मचा है। जिस अफसर पर पहले ही भ्रष्टाचार सिद्ध हो चुका है, वही आज जिले की सबसे बड़ी कुर्सी पर बैठा है। उसका नाम मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. माधव हसानी है।
फिनिक्स अस्पताल का मामला: आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद वसूली
पिछले दिनों फिनिक्स हॉस्पिटल में एक मरीज से आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद भी मोटी रकम जमा करवाई गई। जबकि नियम साफ कहते हैं कि आयुष्मान कार्डधारक मरीज से कोई शुल्क नहीं लिया जा सकता। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इस मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

सूत्रों का दावा है कि अस्पताल से भारी भरकम रकम सीधे डॉ. हसानी तक पहुंची, जिसके चलते न तो अस्पताल के खिलाफ कोई कदम उठाया गया और न ही उसके अवैध निर्माण पर कोई रोक लगाई गई। डॉ. हसानी का विवादों से पुराना नाता है। साल 2015 में राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत वृद्धजन दिवस का आयोजन दिखाकर फर्जी कैंप बनाए गए। आयोजन हुए नहीं, लेकिन बिल लगा दिए गए।

लोकायुक्त जांच में यह गड़बड़ी साबित हुई और शासन ने कार्रवाई भी की। उनकी एक वेतन वृद्धि रोकी गई, वेतन से पैसा काटा गया और शासन को 60,125 की हानि का मामला दर्ज हुआ। इसके बावजूद उन्हें इंदौर का सीएमएचओ बना दिया गया।

सेटिंग और सौदेबाज़ी का खेल!
डॉ. हसानी की कुर्सी तक पहुंचने के पीछे सेटिंग और लेन-देन का बड़ा खेल बताया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक, उनके क्लासमेट और वर्तमान में वरिष्ठ संयुक्त संचालक राजू निदारिया की पैरवी और दबाव से ही उन्हें यह पद मिला।

वरिष्ठ डॉक्टर दरकिनार
इस विभाग में पूर्णिमा गडरिया, हेमंत गुप्ता, शरद गुप्ता जैसे वरिष्ठ और योग्य 10 से ज्यादा डॉक्टर मौजूद थे। लेकिन सभी को नजरअंदाज कर, भ्रष्टाचार की पृष्ठभूमि वाले हसानी को कुर्सी पर बैठा दिया गया।
दिखावा ज्यादा, कार्रवाई कम
डॉ. हसानी पर यह भी आरोप है कि वह अस्पतालों पर निरीक्षण का ड्रामा करते हैं। हाल ही कुछ दी पहले उन्होंने देर रात ABP अस्पताल का निरीक्षण किया और सुबह 11 बजे तक उसे क्लीन चिट दे दी। दूसरी ओर, फोनिक्स अस्पताल का मामला महीनों से दबा पड़ा है। यानी जो सेटिंग में है, वो बच जाता है। और जो बाहर है, वो फंस जाता है।
दस्तावेज़ खोलते हैं पोल
Lalluram.com के पास उपलब्ध सरकारी पत्रों में साफ लिखा है कि डॉ. हसानी पर भ्रष्टाचार साबित हुआ था। उनकी एक वेतन वृद्धि रोकी गई। वेतन से पैसा काटा गया। लोकायुक्त जांच में गड़बड़ी सिद्ध हुई। फिर भी उन्हें प्रमोशन देकर जिले का स्वास्थ्य अधिकारी बना दिया गया।
फीनिक्स हॉस्पिटल को लेकर जब डॉ माधव हसनी से फोन पर बात की तो उन्होंने कहा, ‘अभी खूब सारे मामलों में उलझ रहा हूं। समय नहीं मिला, इसलिए नहीं देख पाता।’ जब नगर निगम को फीनिक्स हॉस्पिटल के अवैध निर्माण को लेकर पत्र लिखने की बात कही तो उन्होंने कहा, ‘मुझे ध्यान नहीं है कि मैंने पत्र पर साइन की या नहीं।’
अब सवाल खड़े होते हैं कि इंदौर सीएमएचओ या तो भूल जाते हैं या फिर कारवाही नहीं करना चाहते। क्योंकि या फिर जो पैसे के आरोप डॉ. हसनी पर लग रहे हैं वो सही है। इसके साथ ही जब डॉक्टर माधव आसनी से लोकायुक्त में कोई जांच के बारे में पूछे तो उन्होंने कहा ‘मैं अभी घर में पहुंचा हूं।’ यह कहकर उन्होंने फोन काट दिया।’
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