राजधानी का एक नामी विश्वविद्यालय है. विश्वविद्यालय का ऑडिटोरियम. ऑडिटोरियम का हाल..! हाल जहां बदहाल है.जहां एक-एक दृश्य को देखकर सिस्टम पर उठते सवाल हैं.
सत्या राजपूत, रायपुर। राजधानी के कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय का निर्माणाधीन ऑडिटोरियम वाकई में ऑडिटोरियम है या भ्रष्टाचार की इमारत, इसका अंदाजा निर्माणाधीन भवन की दीवार की तस्वीर देखकर ही लगाया जा सकता है. यह ऑडिटोरियम करोड़ों की लागत से बनाया गया है हालांकि अभी तक इस नवनिर्माण बिल्डिंग का उद्घाटन भी नहीं हुआ है और इस तरह से यहां बड़े स्तर पर किये गए भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है.
दरअसल, राजधानी के काठाडीह स्थित पत्रकारिता विश्वविद्यालय में आज लल्लूराम डॉट कॉम की टीम पहुंची. इस दौरान विश्वविद्यालय परिसर के अंदर बबूल, बेर, अन्य कांटेदार वृक्षों और बेलों के पीछे दिख रहा विशाल भवन कोई खंडहर नहीं है. इसे देखने से ऐसा लगता है, मानो यह दशकों पुराना हो. लेकिन इसकी हकीकत कुछ और है. पत्रकारिता विश्वविद्यालय प्रबंधन के मुताबिक यह ऑडिटोरियम अभी निर्माणाधीन है. चौंकाने वाली बात यह है कि जब यह निर्माणाधीन है, तो गिरने की अवस्था में कैसे पहुंच गया? विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन के पीछे बने ऑडिटोरियम की दीवार है, जो उद्घाटन होने के पहले ही दरक गई है. निर्माण कार्य अब तक पूरा नहीं हुआ है. ऐसे में अभी से दीवार में आई दरार, बीम में आई दरार और इंटीरियर डिज़ाइन के गिरने से कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं.
7 करोड़ का बंदरबांट ?
पत्रकारिता विश्वविद्यालय में रूसा (राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान) ने सात करोड़ की लागत से ऑडिटोरियम बनाया है. ये सोचने वाली बात ये है कि जिस उद्देश्य से ऑडिटोरियम बनाया गया है. ऑडिटोरियम बनने के 7 साल बाद भी इसमें एक भी कार्यक्रम में नहीं हुआ है. जिस हालात में अभी टूरिज़म है कुछ दिन ऐसा ही रहा तो जमींदोज होने में देर नहीं लगेगी.
हैंडओवर का पेंच
राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान कार्यालय के मुताबिक 2018 में यहां ऑडिटोरियम में बनकर तैयार हो गया है. हैंडओवर देने के लिए उसको पत्रकारिता विश्वविद्यालय को पत्र जारी किया जा चुका है. लेकिन विश्वविद्यालय से मिली जानकारी के अनुसार कुशाभाऊ पत्रकारिता विश्वविद्यालय को मिला था लेकिन हमने हैंडओवर नहीं लिया है. क्योंकि इंटरनल कार्य ऑडिटोरियम में बाक़ी है जो पीडब्लूडी करेगा. इसलिए हैंडओवर नहीं लिया गया है.
नदारद नजर आए जिम्मेदार
पत्रकारिता विश्वविद्यालय में बने ऑडिटोरियम खंडहर में तब्दील हो क्यों हो रहा है ये जानने के लिए कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति बलदेव भाई शर्मा से जवाब लेने लल्लूराम डॉट कॉम की टीम कार्यालय पहुंची तो वो कार्यालय से नदारद थे. उनके कार्यालय में ताला जड़ा हुआ था, जब उनसे संपर्क करने कॉल किया गया तो उन्होंने कॉल का कोई रिप्लाई नहीं दिया.
काम बाकी है – रजिस्ट्रार
रजिस्ट्रार सुनील शर्मा ने कहा ऑडिटोरियम की मरम्मत कार्य के लिए रूसा को पत्र लिखा गया है. काम अधूरा होने के कारण ऑडिटोरियम को हैंडओवर नहीं लिया गया है. इसमें पीडब्लूडी का कार्य बाकी है.
जांच का आश्वासन
रूसा के संचालक जगदीश सोनकर ने कहा चूंकि अभी मै रूसा ज्वाइन किया है, पूरा क्या मामला मामला पता करता हूं, विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार से बात कर तत्काल इसमें जांच करवाता हूं तब पता चलेगा पूरा क्या मामला है.
कटघरे में रूसा और पत्रकारिता विश्वविद्यालय प्रबंधन ?
अब सवाल यह उठता है कि जब आडिटोरियम की आवश्यकता नहीं थी तो क्यों बनाया गया ?
7 करोड़ों की बंदरबांट की जांच क्यों नहीं हुई ?
पत्रकारिता विश्वविद्यालय में बने ऑडिटोरियम खंडहर में तब्दील हो रहा फिर भी प्रबंधन मौन क्यों ?
कार्रवाई की मांग करने की जगह मरम्मत राशि मांगने के पीछे का कारण क्या ?
जब काम अधूरा था तो पीडब्लूडी, रूसा और विश्वविद्यालय प्रबंधन पिछले सात सालों से चुप्पी क्यों साधे रहे ?
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