हेमंत शर्मा, इंदौर। पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में केंद्र की योजना आईपीडीएस स्कीम में करोड़ों के घोटाला मामले में अब बड़े अधिकारियों पर भी सवाल उठने लगे हैं। मामले में असिस्टेंट इंजीनियर ने खुलासा किया है कि उन्होंने जो बिल पास किए वो विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर। घोटाला सामने आने के बाद विभागीय कार्रवाई के जवाब में उन्होंने इसका खुलासा किया है। घाटाले के इस पूरे मामले का खुलासा सबसे पहले लल्लूराम डॉट कॉम www.lalluram.com ने ही किया था। खुलासे के बाद मामले में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सीजीएम ने 19 अधिकारियों को शोकॉज नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। 19 अधिकारियों में असिस्टेंट इंजीनियर ने लिखित में अपना जवाब पेश किया है।
असिस्टेंट इंजीनियर ने अपने लिखित जवाब में कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों की मौखिक निर्देश पर उन्होंने बिल पास किए हैं। अगर वे ऐसा नहीं करते तो आदेश की अवहेलना के तहत उन पर विभागीय कार्यवाही की जाती। इस दबाव में असिस्टेंट इंजीनियर ने डिविजनल इंजीनियर के मौखिक आदेश पर बिल पास किए।
जब डिविजनल इंजीनियर से www.lalluram.com की टीम ने बात की तो उन्होंने सुपरिटेंडेंट इंजीनियर और प्रोजेक्ट डायरेक्टर के दबाव में आकर बिल पास कराने की बात कही। अब असिस्टेंट इंजीनियर के जवाब के बाद सुपरीटडेंट इंजीनियर कामेश श्रीवास्तव, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर राजेंद्र नेगी, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर पवन जैन, प्रोजेक्ट डायरेक्टर संजय मुहासे पर दबाव बनाकर बिल पास कराने का आरोप लग रहा है।
आपको बता दें संजय मुहासे लंबे समय तक आईपीडी स्कीम में प्रोजेक्ट डायरेक्टर के पद पर पदस्थ रहे हैं। जिन के बाद प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुब्रतो राय को बनाया गया और सुब्रतो राय के रिटायर होने के बाद अशोक शर्मा ने आईपीडीएस स्कीम के प्रोजेक्ट डायरेक्टर का चार्ज संभाला है। असिस्टेंट इंजीनियर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा है अगर अधिकारी असिस्टेंट इंजीनियरों का पक्ष नहीं सुनेंगे तो वे आंदोलन और हड़ताल भी कर सकते हैं। अब पूरे मामले में असिस्टेंट इंजीनियर और वरिष्ठ अधिकारी आमने सामने होते नजर आ रहे हैं।
ये है मामला
www.lalluram.com की टीम ने पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी में केंद्र की योजना आईपीडीएस के तहत करोड़ों रुपए के घोटाले का खुलासा किया था। ऑपरेशन KC में www.lalluram.com की टीम ने देवास के बजरंग नगर फीडर की हकीकत जानी तो मौके से पचपन खंभे हमें गायब मिले। पेपरों में बजरंग नगर फीडर पर 110 खंबे मौजूद होना दर्ज है। जबकि सिर्फ 55 खंबे ही मौजूद मिले बाकी के 55 खंभों के बिल अधिकारियों ने ठेकेदार के साथ मिलीभगत कर डकार दिए।
दरअसल इंटीग्रेटेड पावर डेवलपमेंट स्कीम यानी कि आईपीडीएस स्कीम के तहत 14 जिलों के लिए 523 करोड़ 67 लाख रुपए स्वीकृत किए गए थे। इस स्कीम में शहर में बिना रुकावट बिजली सप्लाई करने के लिए केबल और ट्रांसफार्मर खंबे लगाए जाने थे। जिसके लिए 14 जिलों के सर्वे करने के बाद बजट पास हुआ था। इंदौर उज्जैन देवास बुरहानपुर खंडवा जैसे 14 जिलों में आईपीडीएस स्कीम के तहत काम होना था, पर क्षेमा पावर और विक्रांत पावर के साथ मिलकर अधिकारियों ने कंपनी को करोड़ों रुपए का चूना लगा दिया। मामले की शिकायत ईओडब्ल्यू में भी की गई है जिसमें अभी जांच जारी है।
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