विनोद दुबे, रायपुर। छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा प्राप्त हुए 11 साल बीत गए हैं लेकिन आज भी वह ना तो सरकारी कामकाज की भाषा बन पाई और ना ही सरकार ने इसके विकास की दिशा कोई ठोस काम ही किया. सरकारी उपेक्षाओं के बीच छत्तीसगढ़ी सात समंदर पार अपनी खुशबू बिखेर चुकी है. पहले गूगल ने छत्तीसगढ़ी में अपना की बोर्ड बनाया. उसके बाद विश्व बाजार ने छत्तीसगढ़ी भाषा का महत्व समझा. टेलीकॉम सेक्टर जो कि स्थानीय भाषा के जरिये आम जनता के बीच पहुंच रहा है उसने छत्तीसगढ़ी को भी हिन्दी-अंग्रेजी से कम महत्व नहीं दिया है, फोन पर छत्तीसगढ़ी को अंग्रेजी-हिन्दी, फ्रेंच, जैसी विदेशी भाषाओं के बीच चुनने का विकल्प दिया जा रहा है.

यही नहीं अब सोशल वर्क सेक्टर में काम करने वाली विदेशी एजेंसियां भी छत्तीसगढ़ी भाषा के जरिये आम जनता के बीच पहुंचने जा रही हैं. विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक मातृ-शिशु, पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे क्षेत्रों में काम करने वाली ‘बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ छत्तीसगढ़ में अपने कदम रख रही है. फांउडेशन ने लोगों से सीधा संवाद स्थापित करने के लिए उन्हीं की स्थानीय भाषा छत्तीसगढ़ी को चुना है. फाउंडेशन यहां अपने काम काज को शुरु करने से पहले एक बड़ा सर्वे कराने जा रही है. सर्वे छत्तीसगढ़ी भाषा में किया जाएगा. इसके लिए अंग्रेजी के सवालों को छत्तीसगढ़ी में ट्रांसलेट कर प्रश्न तैयार करवाया जा रहा है. यहां उसने यह काम एक ऐसी संस्था को सौंपा है जो लंबे समय से छत्तीसगढ़ी भाषा में काम कर रही है. संस्था द्वारा ट्रांसलेशन का काम लगभग पूरा कर लिया गया है. अब फाउंडेशन छत्तीसगढ़ी में तैयार सवालों को लेकर प्रदेश की आम ग्रामीण जनता के बीच पहुंचेगा.

सर्वे सरकारी योजनाओं और उनका उनके जीवन में पड़ने वाले प्रभावों के साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य और आजीविका को लेकर है. इस सर्वे में मनरेगा और हाल ही में आई राज्य सरकार की स्काई योजना को भी शामिल किया गया है. स्काई योजना के तहत महिलाओं को सरकार द्वारा मोबाइल बांटा गया था. इस मोबाइल ने उनके जीवन में क्या-क्या बदलाव लाया है. वे मोबाइल के उपयोग के बारे में क्या-क्या जानती हैं, वे किन-किन ऐप्स का इस्तेमाल करती हैं. उनके, परिवार, रोजगार, बच्चों और स्वास्थ्य-सेहत से जुड़े अनेकों सवाल होंगे. माना जा रहा है कि इस सर्वे के बाद प्रदेश में कई स्तर पर काम की शुरुआत होगी.

भारत में फाउंडेशन के ये हैं कार्य

आपको बता दें ‘बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन’ विश्व भर में कार्य करता है, भारत में तकरीबन दशक भर पहले से यह काम कर रहा है. शुरुआती दौर में फाउंडेशन एचआईवी को लेकर काम कर रहा था. जिसके बाद फाउंडेशन ने भारत में अपना दायरा बढ़ाते हुए  मातृत्व एवं बाल स्वास्थ्य, स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाएं. टीकाकरण, कृषि विकास, संक्रामक रोगों की रोकथाम, परिवार नियोजन जैसे कई कार्यक्रमों को लेकर काम कर रहा है. फाउंडेशन ऐसे क्षेत्रों में ना सिर्फ काम कर रहा है बल्कि इन क्षेत्रों में काम करने वाले एनजीओ को भी एक बड़ा फंड मुहैया कराता है.