भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय चुनाव के लिए बुधवार को दूसरे और अंतिम चरण का मतदान हुआ. एमपी के 16 नगर निगम में चुनाव खत्म होने के बाद नतीजों की बारी है. लेकिन अभी से रुझान आने शुरू हो गए हैं. रुझानों में कौन आगे कौन पीछे चल रहा है. बीजेपी और कांग्रेस अपने-अपने जीत के दावे कर रही है. लेकिन सच्चाई क्या है ? यही जानने के लिए लल्लूराम डॉट कॉम ने सभी नगर निगम में मतदाताओं के मूड को परखा है. वहां के बुनियादी मुद्दे, समस्याएं और विकास को टटोला है. जिनकी बदौलत जनता ने वोट किया है. हालांकि पिछले निकाय चुनाव में 16 नगर निगम में से 16 पर बीजेपी का एकतरफा कब्जा किया था. अब इस बार क्या कांग्रेस खाता खोल पाएगी या फिर बीजेपी फिर से एकतरफा जीत दर्ज करेगी. 8 नगर निगम ऐसे रहेंगे, जहां जीत का बड़ा अंतर नहीं रहेगा. वोटिंग कम होने से घाटा बीजेपी को हो सकता है. परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं. तो चलिए जानते हैं रुझानों कहां कौन मारेगा बाजी और कहां किसकी शहर सरकार बनेगी ?  

नगरीय निकाय चुनाव में पहले चरण के 11 नगर निगम में क़रीब 61% मतदान हुआ है. जिसमें ग्वालियर में 49%, सागर 60%, सतना 63%, सिंगरौली 52%, जबलपुर 60%, छिंदवाड़ा 69%, भोपाल 50%, खंडवा 55%, बुरहानपुर 69%, इंदौर 60%, उज्जैन 59% मतदान हुआ है. पिछले चुनावों के मुक़ाबले इस बार सबसे कम मतदान प्रतिशत रहा है. वहीं आज 5 नगर निगम में 5 बजे तक 77 प्रतिशत मतदान हुआ है. इससे पहले 1994 में 68.48%, 1999 में 68.03%, 2004 में 76.61%, 2009 में 80.45%, 2014 में 83.39% और 2022 में 60% वोटिंग हुई थी.

भोपाल नगर निगम (कांटे की टक्कर)

राजधानी भोपाल में रुझानों में कांटे की टक्कर बताई जा रही है. बीजेपी महापौर प्रत्याशी मालती राय और कांग्रेस महौपौर प्रत्याशी विभा पटेल के बीच कांटे की टक्कर है. पूर्व महापौर होने के कारण रुझानों में कांग्रेस प्रत्याशी आगे बताई जा रही हैं, तो बीजेपी में प्रत्याशी के साथ संगठन कांग्रेस पर भारी पड़ता नजर आ रहा है. हालांकि कम मतदान की तरह हार-जीत का अंतर भी बहुत कम रहने वाला है. यानी जीत किसी भी पार्टी की हो, लेकिन जीत बहुत कम अंतर से ही होगी. भोपाल में सत्तापक्ष, विपक्ष, पार्टी, चेहरा, विकास, बदलाव, स्थानीय मुद्दे और पुराने वादे मुख्य रूप से चुनावी मुददे रहे हैं.

बीजेपी के गढ़ कहे जाने वाले इलाकों में सबसे कम मतदान हुआ है. वहीं कांग्रेस बाहुल्य इलाकों में औसत मतदान देखने को मिला है. भोपाल नगर निगम क्षेत्र की 6 विधानसभाओं में कुल 50.68 प्रतिशत मतदान हुआ है. 2014 के चुनाव में भोपाल नगर निगम में 56 प्रतिशत मतदान हुआ था. सबसे कम मतदान बीजेपी के गढ़ गोविंदपुरा विधानसभा में 47.20 प्रतिशत रहा. वहीं सबसे अधिक मतदान कांग्रेस के किले उत्तर विधानसभा में 57.34 प्रतिशत रहा. बीजेपी शासित विधानसभा नरेला में 52.63 प्रतिशत मतदान हुआ. कांग्रेस शासित मध्य विधानसभा में 47.75 प्रतिशत मतदान हुआ. कांग्रेस शासित दक्षिण पश्चिम विधानसभा में 49.42 प्रतिशत मतदान हुआ. बीजेपी शासित हुजूर विधानसभा में 50 प्रतिशत मतदान हुआ.

इंदौर नगर निगम (बीजेपी आगे)

इंदौर नगर निगम में सर्वे के आधार पर कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला पर बीजेपी प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव भारी पड़ते दिख रहे हैं. देश में सबसे स्वच्छ इंदौर 23वां महापौर देने जा रहा है. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के चार बार के दौरे का असर बीजेपी प्रत्याशी पुष्यमित्र भार्गव पर पड़ता दिख रहा है. इंदौर में निकाय चुनाव की वोटिंग 6 जुलाई को हुई थी. जिसमें शहर के 2 हजार 250 पोलिंग बूथों पर 60.88 फीसदी वोटिंग हुई. इसमें सबसे ज्यादा वोटिंग विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 1 में 63.88 प्रतिशत रही, तो सबसे कम वोटिंग 58.06 फीसदी विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 5 हुई. अब दोनों ही दल पोलिंग के आधार पर अपनी-अपनी जीत के कयास लगा रहे हैं. हालांकि दावों को हकीकत में बदलने के लिए उन्हें 17 जुलाई का इंतजार करना पड़ेगा.

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का दावा है कि एक लाख से ज्यादा वोटों से पुष्यमित्र भार्गव अपनी जीत का परचम लहराएंगे. इसके साथ ही कांग्रेस द्वारा कराए गए सर्वे में महापौर सहित 35 से 39 वर्ड तक जीत के दावे कांग्रेस ने किए. पुष्यमित्र भार्गव के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय लगातार अलग-अलग वार्डों में बैठक और मीटिंग का दौर जारी रखा. नगरी निकाय चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय को नगर निगम का गुरु कहा जाता है.

वहीं कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला खुद मैदान में डटे रहे. संजय शुक्ला के समर्थन में नामांकन भरवाने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ इंदौर पहुंचे थे. रोड शो का कार्यक्रम आयोजित किया गया था, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ रोड शो में शामिल नहीं हुए. संजय शुक्ला के साथ रोड शो में एक भी मंत्री मौजूद नहीं रहे. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की फटकार के बाद पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा, पूर्व मंत्री जीतू पटवारी ने अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में जनसंपर्क अभियान संजय शुक्ला के साथ करवाया था.

खंडवा नगर निगम चुनाव (टक्कर)

खंडवा नगर निगम चुनाव में इस बार पहले से काफी कम मतदान प्रतिशत रहा है. इससे दोनों ही राजनीतिक दल का गणित बिगड़ता दिख रहा है. कम मतदान को लेकर जहां कांग्रेस अपनी जीत बता रही है, तो वही भारतीय जनता पार्टी भी अपनी जीत का दावा कर रही है. बीजेपी से महापौर प्रत्याशी अमृता अमर यादव और कांग्रेस से आशा अमित मिश्रा के बीच सीधा मुकाबला है. लेकिन आम आदमी पार्टी और AIMIM चुनावी गणित को जमने नहीं दे रही हैं. बीजेपी प्रत्याशियों के पक्ष में जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने खंडवा में चुनाव प्रचार करने आए, तो वही कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए माहौल बनाने का काम पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ, जीतू पटवारी ने किया.

खंडवा शहर में 55% मतदान हुआ, जो पिछले चुनाव के मुकाबले करीब 10% कम रहा है. जिससे इस बार 50 वार्डो का गणित भी बिगड़ता दिख रहा है. अगर वार्डों की स्थिति का आकलन किया जाए, तो भारतीय जनता पार्टी को 50 वार्डो में से करीब 22 से 24 वार्डों में पार्षदों को जीत मिलती दिख रही है. कांग्रेस को करीब 18से 16 वार्डों में जीत मिलती सकती है. वही आम आदमी पार्टी को 1 से 2 और AIMIM को भी 1 से 2 पार्षद आने की उम्मीद दिख रही है. दोनों ही मुख्य राजनितिक दल कांग्रेस और बीजेपी से बागी होकर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे पार्षद प्रत्याशियों से नुकसान हो सकता है. करीब 10 से 8 निर्दलीय पार्षद इस बार चुनकर आ सकते है. 

जबलपुर नगर निगम (कांग्रेस आगे)

6 जुलाई को जबलपुर नगर निगम चुनाव के रुझानों में कांग्रेस से मेयर प्रत्याशी जगत बहादूर सिंह अन्नु को आगे दिख रहे हैं. लेकिन मुकाबला तगड़ा है. कोई भी राजनितिक पंडित ये नहीं कह पा रहा है कि कौन जीतेगा. बीजेपी प्रत्याशी की कमजोरी कोरोना काल में लोगों के प्रति उनकी बेरुखी बता रहे है. कोरोना काल में डॉक्टर साहब का विवाद सामने आना भी वजह है. बीजेपी प्रत्याशी डॉक्टर जितेंद्र जामदार जनता के बीच लोकप्रिय नहीं है. डॉक्टर होने के नाते उन्होंने ऐसे कोई ख़ास काम जनता के लिए नहीं किए. जबलपुर में निकाय चुनाव में 60% मतदान हुआ है. पिछले निकाय चुनाव से इस बार 3% कम मतदान हुआ है.

ग्वालियर नगर निगम (बीजेपी आगे)

ग्वालियर नगर निगम में रुझानों में बीजेपी मेयर प्रत्याशी सुमन शर्मा को कांग्रेस की मेयर प्रत्याशी शोभा सतीश सिकरवार से आगे देखा जा रहा है. कांग्रेस की मेयर प्रत्याशी शोभा सतीश सिकरवार की कमजोरी की बात कही जाए, तो उनकी पार्टी में ही शोभा सतीश सिकरवार के नाम का ऐलान जब हुआ था, तब शहर कांग्रेस कमेटी के जिला अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा, मध्य प्रदेश कांग्रेस के महासचिव सुनील शर्मा और कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ने अंदरूनी तौर पर पार्टी के सामने नाराजगी जाहिर की थी. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि तीनों ही ब्राह्मण नेता ने अंदरूनी तौर पर भाजपा की मेयर प्रत्याशी और ब्राह्मण चेहरा सुमन शर्मा को सपोर्ट किया है. इसके साथ ही ग्वालियर में इस बार का मेयर चुनाव ब्राह्मण वर्सेस क्षत्रिय होने के चलते भी जीत का समीकरण बिगड़ सकता है.

नगर निगम चुनाव में भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की महापौर पद की प्रत्याशी तीनों ही ग्वालियर पूर्व विधानसभा से आती है. इनके ही पूर्व विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम मतदान हुआ है. यह हाल तब है, जब दोनों पार्टियों के दिग्गजों की मौजूदगी से लेकर प्रत्याशियों का जमकर प्रचार होने के साथ-साथ संगठन ने घर-घर दस्तक दी. इसके बावजूद पूर्व विधानसभा में सिर्फ 43 प्रतिशत मतदान हुआ, जो कि सबसे कम है. खास बात यह भी है कि कांग्रेस को इस विधानसभा क्षेत्र से सबसे ज्यादा उम्मीद है, क्योंकि यहीं से कांग्रेस महापौर प्रत्याशी डॉ. शोभा सिकरवार के पति सतीश सिकरवार विधायक हैं. वहीं यह विधानसभा भाजपा की भी गढ़ रही है.

बुरहानपुर नगर निगम (टक्कर)

बुरहानपुर नगर निगम चुनाव में इस बार 69 प्रतिशत मतदान हुआ. वर्ष 2014 में हुए नगर निगम चुनाव में 74 प्रतिशत मतदान हुआ था. महापौर पद के लिए कांग्रेस बीजेपी के अलावा आम आदमी पार्टी, एमआईएम, बीएसपी और दो अन्य चुनाव मैदान में थे. बीजेपी ने प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंकी थी. अगर एमआईएम पार्टी और आप पार्टी कम संख्या में वोट हासिल करती है, तो इसका फायदा कांग्रेस प्रत्याशी शहनाज अंसारी को होगा. कांग्रेस प्रत्याशी की जीत की संभावना है. ठीक इसके उलट अगर आम आदमी पार्टी और एमआईएम अधिक वोट लेने में कामयाब हो जाती है, तो इसका नुकसान कांग्रेस को होगा. बीजेपी प्रत्याशी माधुरी पटेल की जीत की संभावना बढ़ जाएगी. यानी बुरहानपुर में अन्य पार्टी बीजेपी-कांग्रेस महापौर प्रत्याशी की किस्मत तय करेंगी.

सागर नगर निगम (टक्कर)

सागर नगर निगम में भाजपा महापौर प्रत्याशी संगीता तिवारी और कांग्रेस से निधि जैन में सीधा मुकाबला है. मतदान का प्रतिशत कम होने से भाजपा की चिंता बढ़ गई है. कांग्रेस सक्ते में है. लोगों की माने तो इस बार कांग्रेस का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा था, लेकिन भाजपा में नगरी प्रशासन मंत्री भूपेंद्र सिंह के सक्रिय होने से भाजपा भी मजबूत स्थिति में दिखाई देने लगी. दोनों दलों में अब बराबरी का मुकाबला है. महापौर चुनाव में 6 और प्रत्याशी भी मैदान में हैं. मतदान के दिन तक जनता का रुझान स्पष्ट नजर नहीं आ रहा है. भाजपा और कांग्रेस में बराबरी का मुकाबला देखने को मिल सकता है. हालांकि भाजपा अपनी जीत का दम भर रही है तो कांग्रेस भी पीछे नहीं है.

सिंगरौली नगर निगम (आप आगे)

सिंगरौली नगर निगम में चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है. सिंगरौली में 52 प्रतिशत मतदान हुआ है. जिले में त्रिकोणीय मुकाबला है. बीजेपी और कांग्रेस का आम आदमी पार्टी सिंगरौली में खेल बिगाड़ सकती है. आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी रानी अग्रवाल के चुनावी मैदान में उतरकर बीजेपी को कड़ी टक्कर दी हैं. कांग्रेस प्रत्याशी अरविंद कुमार सिंह चंदेल और बीजेपी प्रत्याशी चंद्र प्रताप सिंह विश्वकर्मा में भी टक्कर है. रुझानों आम आदमी भी आगे चल रही है.

छिंदवाड़ा नगर निगम (टक्कर)

छिंदवाड़ा नगर निगम में 68 प्रतिशत मतदान हुआ है. चुनावी रुझान बहुत ज्यादा उलझाने वाले मिल रहे हैं. महापौर एवं पार्षद प्रत्याशियों में कांग्रेस और भाजपा में बराबरी की टक्कर है. अभी यह कहना मुश्किल है कि निगम में किसकी सरकार बनेगी. लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी की संभावना अधिक है. भाजपा महापौर प्रत्याशी अनंत धुर्वे और कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम आहाके है.

सतना नगर निगम (बीएसपी आगे- कांग्रेस के बागी प्रत्याशी)

सतना नगर निगम में रुझानों में बीजेपी, कांग्रेस और बहुजन तीनों लड़ाई में है. बीजेपी से योगेश ताम्रकार और कांग्रेस से विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा महापौर प्रत्याशी है. कांग्रेस विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा ने 2018 में जिस तरह सतना की बीजेपी सीट का किला फतह किया. उससे बीजेपी के लिए कम खतरा नहीं है. कांग्रेस के कद्दावर नेता सईद अहमद ने भी बीएसपी से ताल ठोक कर कांग्रेस प्रत्यासी का चुनावी मिजाज बिगाड़ दिया. ऐसे में सतना का निकाय चुनाव त्रिकोणी हो गया है.

कांग्रेस से सिटिंग एमएलए सिद्धार्थ कुशवाहा को हार का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि विधायक का तीन साल की एंटी इन कबेंसी विधायक को ही टिकट मिलने से नाराज कांग्रेस के बाकी नेताओं का विरोध में काम करना और कांग्रेस के कद्दावर नेता सईद अहमद का बीएसपी से चुनावी मैदान में उतरना. सतना में पिछले वर्ष की तुलना में कम वोटिंग हुई है. इस साल 63 फीसदी वोटिंग ने बीजेपी प्रत्यासी की मजबूती पर सवाल खड़े कर दिए है. कम मतदान बीजेपी के लिये नुकसान साबित हो सकता है. बीएसपी की बढ़त की संभावना ज्यादा है.

उज्जैन नगर निगम (कांग्रेस आगे)

उज्जैन में महापौर प्रत्याशी के तौर पर कांग्रेस के तराना विधायक महेश परमार आगे है, जो लोकप्रिय होने के साथ अत्यधिक सक्रिय है. भाजपा के महापौर प्रत्याशी मुकेश टटवाल के सामने पहचान का संकट है. नया चेहरा होना और जीवंत संपर्क नहीं होना इनके सामने हारने का संकट खड़ा कर रहा है. कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी दिखाई दी. मतदान भी कम हुआ है. जिससे भाजपा को नुकसान होगा.

रतलाम नगर निगम (कांग्रेस आगे)

रतलाम नगर निगम में कांग्रेस और भाजपा में बराबरी की टक्कर है. बीजेपी से प्रहलाद पटेल और कांग्रेस मयंक जाट प्रत्याशी है. अगर भाजपा हारती है, तो सीवरेज के कारण खराब सड़क, रोज पीने का पानी न मिल पाना, पटरी पार और बाजार में कम बोटिंग के चांस हैं, तो कम मतदान में भाजपा को नुकसान है. सड़क पानी और महंगाई एक बड़ा मुद्दा है. स्थानीय जनप्रतिनिधियों के वर्ताव हार का कारण होगा. रतलाम से मयंक जाट की जीतने की संभावना है. लेकिन अधिक वोटिंग से बीजेपी को फायदा मिल सकता है.

कटनी नगर निगम (बीजेपी आगे- बागी प्रत्याशी)

कटनी नगर निगम में भाजपा से ज्योति दीक्षित और कांग्रेस से श्रेया खंडेलवाल प्रत्याशी है. भाजपा के बागी प्रत्याशी प्रीति सूरी भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान पर उतरी है. अब सर्वे के अनुसार आंकड़े रिपोर्ट की बात करें, तो बीजेपी ही अपने बागी प्रत्याशी से घबराई हुई है, तो कहीं ना कहीं बीजेपी और बागी प्रत्याशी की कड़ी टक्कर देखी जा रही है. कांग्रेस की भी प्रबल दावेदारी देखी जा रही है. विधायक संजय पाठक ने बीजेपी प्रत्याशी की जीत का दावा 51000 वोट कर दिया है. सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 5000 हजार तक का अंतर हार जीत का तय हो सकता है. कटनी में 60 प्रतिशत मतदान हुआ है. भाजपा की बागी प्रत्याशी प्रीति सूरी को बढ़त मिलती दिख रही है.

देवास नगर निगम (बीजेपी आगे)

देवास नगर निगम में रुझान के मुताबिक भाजपा महापौर प्रत्याशी गीता दुर्गेश अग्रवाल की जीत लगभग पक्की है. हालांकि दुर्गेश अग्रवाल बड़े नेता नहीं हैं, लेकिन वह स्थानीय विधायक गायत्री राजे पवार के करीबी नेताओं में गिने जाते हैं और इसी वजह से ही उनका टिकट तय हुआ था. देवास की राजनीति में विधायक खासी पकड़ रखती हैं. उनका व उनके परिवार का इस विधानसभा पर करीब 3 दशक से लगातार कब्जा रहा हैं.

कांग्रेस प्रत्याशी विनोदिनी रमेश व्यास का पूरा चुनावी मैनेजमेंट फैल रहा है. जिसकी वजह से उन्हें हार का सामना करना पड़ सकता है. दूसरी कांग्रेस के नेता शिवा चौधरी ने भी टिकट न मिलने पर पार्टी से बगावत करते हुए अपनी बहू मनीषा चौधरी को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतारा था. अब कयास लगाया जा रहा हैं कि मनीषा चौधरी भी कांग्रेस का बड़ा वोट बैंक काट रही है. इसलिए कहीं न कहीं माना जा रहा हैं कि कम मतदान के बावजूद भी जीत भाजपा की होगी.

रीवा नगर निगम (कांग्रेस आगे)

रीवा नगर निगम में कांग्रेस प्रत्याशी अजय मिश्रा बाबा रुझानों में आगे हैं. रीवा में 62 प्रतिशत मतदान हुआ है. बीजेपी की आपसी गुटबाजी के चलते टिकट में परिवर्तन किया गया था. संगठन के कार्यकर्ता प्रबोध व्यास को महापौर प्रत्याशी बना दिया गया. शहर के कुछ पोलिंग में काम मतदान हुआ है. मतदान कम होने सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को होगा. इसलिए अजय मिश्रा जीत दर्ज कर सकते हैं.

मुरैना नगर निगम (कांग्रेस आगे)

मुरैना नगर निगम में कांग्रेस प्रत्याशी शारदा राजेंद्र सोलंकी रुझानों में आगे चल रही हैं. बीजेपी से मीणा मुकेश जाटव को निराशा हाथ लग सकती है. सर्वे कहता है कि भाजपा महापौर ने विकास नहीं किया है. जिस कारण पिछड़ रही है. 52 प्रतिशत मतदान हुआ है. महिला मतदाताओं में कमी देखने को मिली है. कम मतदान से भाजपा प्रभावित हो रही. सड़क, नल, बिजली, पानी और सफाई अहम मुद्दे रहे हैं.

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