रायपुर। माहेश्वरी महिला मंडल ने रविवार को लायन डेन में ‘जल अमृत या विष’ विषय पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया. सम्यक् जल सेवन कार्यशाला में इस विषय पर डॉ परमेश्वर अरोड़ा ने भी अपने विचार रखे. डॉ परमेश्वर अरोड़ा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में आयुर्वेद में गोल्ड मेडलिस्ट हैं. फिलहाल वे दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में सीनियर कंसल्टेंट भी हैं. इनका कहना है कि जरूरत से अधिक पानी सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकता है. ये बात आयुर्वेद में साफ लिखी हुई है. इन्होंने कहा कि आयुर्वेद किसी भी व्यक्ति को न्यूनतम पर्याप्त मात्रा में ही पानी पीने का निर्देश देता है. जबकि आजकल एसिडिटी, कब्ज, मोटापा, प्यूरिफिकेशन, यूरिन इन्फेक्शन वगैरह के लिए डॉक्टर ज्यादा से पानी पीने की सलाह देते हैं, लेकिन आयुर्वेद में कहा गया है कि कब्ज और एसिडिटी जैसी बीमारी अग्नि की संदता से पैदा होते हैं. ऐसे में अग्नि का प्रबल विरोधी जल किस तरह से अग्नि के बल को बढ़ाएगा.

डॉ परमेश्वर अरोड़ा कहते हैं कि कहीं ऐसा तो नहीं कि क्षणिक लाभ के लिए पीया गया ज्यादा पानी ही पेट के इन सामान्य बीमारियों को नहीं ठीक होने वाला असाध्य रोग बना देता है. उन्होंने ये भी कहा कि आयुर्वेद के मुताबिक, किसी स्वस्थ व्यक्ति को गर्मी और शरद में सामान्य मात्रा और बाकी मौसम में कम मात्रा में पानी पीना चाहिए. वहीं एक साथ ज्यादा पानी पीने से पित्त और कफ रोग जैसे अपच, आलस्य, पेट फूलना, जी मिचलाना, मुंह में पानी आना, शरीर में भारीपन, जुकाम और सांस के रोग पैदा करते हैं.