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लेखक -वैभव बेमेतरिहा

 रायपुर। छत्तीसगढ़ में अल्प वर्षा ने प्रदेश में अकाल की नौबत ला दी है। प्रदेश के 27 में से 22 जिला सूखा प्रभावित हो चले हैं। लल्लूराम डॉट कॉम की टीम ने प्रदेश में सूखे की स्थिति का जायजा लेने राजधानी रायपुर के करीब एक गांव का दौरा किया और जो जमीनी सच्चाई सामने आई वो बहुत चिंता जनक है।

ये और बात है कि कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल शायद इस चिंता से मुक्त हो कर विदेश दौरे पर हैं। मंत्री जी के पास सूखे की स्थिति को देखने के लिए किसी खेत में जाने या किसान से मिलने के लिए वक्त ना हो, लेकिन मंत्री जी विदेश में खेती भी देख रहे हैं और किसानों से भी मिल रहे हैं।

खैर मंत्री जो को उनकी विदेश यात्रा पर छोड़ देते हैं और आपको लिए चलते हैं राजधानी रायपुर से 25 किलोमीटर दूर पिपरहट्टा गांव। मुंबई-हावड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग में नवागगांव से दक्षिण दिशा में 7 किलोमीटर और रायपुर से 25 किलोमीटर दूर है पिपरहट्टा गांव। गांव पहुँचने पर पता चला कि ये गांव 6 बार से लगातर सांसद रमेश बैस का गांव है। लेकिन 6 बार से सासंद होने का तमगा लिए गर्व करने वाले इस गांव की वास्तविक स्थिति ये है कि सांसद जी ने खूब तरक्की कर ली, लेकिन गांव की तरक्की पर आज भी प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है।

80 प्रतिशत सिंचित होने का दावा करने वाले छत्तीसगढ़ की सच्चाई ये है कि राजधानी से 25 किलोमीटर दूर, नहर और महानदी के करीब होने के बावजूद और तो और सांसद का गांव होने के बाद ये गांव सिंचिंत नहीं। पिपरभट्टा की जमीनी हकीकत को आप इन तस्वीरों से समझने की कोशिश भी करते रहिए। साथ-साथ आपको किसानों ने लल्लूराम डॉट कॉम को जो बताया वो भी बताते जाएंगे। इससे पहले कि किसानों ने क्या कहा वो आपको बताएंंगे लेकिन इससे पहले सत्ताधारी दल के नेता जो खुद भी किसान हैं उन्होंने क्या कहा वो पढ़ लीजिए।

भाजपा नेता और सरपंच पति लक्ष्मीनारायण बताते हैं कि सांसद का गांव होने के बाद भी कोई विशेष फायदा गांव को अब तक हुआ नहीं। सिंचाई के लिए आज भी गांव वालों को बारिश पर निर्भर रहना पड़ता है। गांव इस साल पूरी तरह से सूखे की चपेट में है इसकी जानकारी स्थानीय जनप्रतिनिधियों को दी गई है। यह गांव आरंग विधानसभा क्षेत्र में आता है। इलाके के विधायक सत्ताधारी दल के नवीन मार्केण्डेय हैं, लेकिन विधायक जी की ओर से भी कोई राहत की खबर आई नहीं।

वहीं किसान पोषण, नूतन, संत दास, कैलाश और कुमार बताते हैं कि इस साल फसल होने की कोई उम्मीद नहीं है। पोषण अपने खेत को दिखाते हुए कहते हैं कि रक्षाबंधन के दिनों बारिश हुई उसके बाद से अब तक पानी नहीं गिरा है। उसी दौरान उन्होंने निंदाई काम कर रोपा कर लिया था। लेकिन बारिश नहीं होने के चलते अब खेतों दरारे पड़ने लगी है। अगर 10 दिनों के भीतर बारिश नहीं हुई तो फसल नष्ट हो जाएगी।

संतदास और और नूतन बताते हैं कि पिपरहट्टा की आबादी 2 हजार है और करीब 7 सौ रकबा में खेती होती है लेकिन अगर बारिश ना हो तो खेती चौपट समझिए। इस साल इसी तरह के हालात बनने लगे हैं। जिन खेतों में निंदाई-कोड़ाई और रोपा का काम नहीं हुआ है वहां तो अब फसल को मवेशियों को चराने की नौबत आ रही है। पटवारी की ओर से सर्वे किया गया है लेकिन कुछ मिलने की उम्मींद कम ही है। फिर भी सरकार से ये आश है कि हम जैसे किसानों की मदद करेंगे।

लल्लूराम डॉट कॉम की टीम से कृषि वैज्ञानिक और छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक सदस्य डॉ. संकेत ठाकुर ने कहा कि प्रदेश में 22 जिला सूखा प्रभावित है। हमने सरकार से मांग की छत्तीसगढ़ को अकाल घोषित कर तत्काल राहत देने की घोषणा करे। हम लगातार सूखे की स्थिति पर किसानों के साथ बैठक कर,  गांवों में जाकर स्थिति का जायजा ले रहे हैं। किसानों की स्थिति अच्छी नहीं है।