दिल्ली के तिहाड़ जेल(Tihad Jail) में जबरन वसूली रैकेट के संबंध में मिली शिकायत के बाद CBI ने जांच शुरू कर दी है. यह रैकेट कथित तौर पर जेल अधिकारियों की संलिप्तता से संचालित हो रहा था. दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court)की चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की बेंच ने केंद्रशासित प्रदेश के गृह विभाग के प्रमुख सचिव को निर्देश दिया कि वे एक फैक्ट फाइंडिंग समिति का गठन करें, ताकि तिहाड़ जेल में चल रहे इस वसूली रैकेट में कौन-कौन से अधिकारी शामिल हैं. यह पता लगाया जा सके.

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दिल्ली हाईकोर्ट को केंद्रीय जेल संख्या 8 और अर्ध-खुली जेल के निरीक्षण के दौरान जज द्वारा तैयार की गई एक सीलबंद रिपोर्ट सौंपी गई है. इस रिपोर्ट में जेल के भीतर संगठित आपराधिक गतिविधियों, अधिकारियों की संलिप्तता और कैदियों से जबरन वसूली के गंभीर मामलों का उल्लेख किया गया है. इसके अलावा, रिपोर्ट में कॉल डेटा रिकॉर्ड, जेल की आधिकारिक लैंडलाइन के दुरुपयोग और जेल के अंदर-बाहर आपराधिक नेटवर्क के संबंधों की भी जानकारी दी गई है.

पूर्व कैदी ने दायर की थी याचिका

दिल्ली हाईकोर्ट में एक पूर्व कैदी की याचिका के आधार पर मामला सामने आया है, जिसमें उसने तिहाड़ जेल प्रशासन पर जबरन वसूली, कैदियों की सुरक्षा में लापरवाही और अधिकारियों के भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं. अदालत ने जांच करने वाले जज की रिपोर्ट में याचिकाकर्ता की भूमिका पर कुछ संदेह व्यक्त किया है, लेकिन इसके बावजूद जांच की आवश्यकता को नकारा नहीं किया जा सकता.

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11 अगस्त तक रिपोर्ट पेश करे CBI

दिल्ली हाईकोर्ट ने CBI को निर्देश दिया है कि वह जांच की प्रक्रिया जज की रिपोर्ट के आधार पर शुरू करे. याचिकाकर्ता और जेल प्रशासन को अपने-अपने तर्क प्रस्तुत करने की अनुमति दी जाएगी. इसके साथ ही, दिल्ली सरकार के गृह विभाग के प्रमुख सचिव को आदेश दिया गया है कि वे प्रशासनिक स्तर पर जांच कर दोषी अधिकारियों की पहचान करें और 11 अगस्त तक रिपोर्ट अदालत में पेश करें. इस जांच में दिल्ली के जेल महानिदेशक को पूर्ण सहयोग देने के लिए कहा गया है.