स्पोर्ट्स डेस्क– टीम इंडिया के क्रिकेटर्स की हर तीसरे महीने आंखों की जांच होती है औऱ ये प्रक्रिया लंबे समय से चली आ रही है. ये बात तब उठी जब अभी हाल ही में बंगाल क्रिकेट संघ ने कोविड-19 के बाद खेल शुरू होने पर हर खिलाड़ी के आंख की जांच कराने का प्रस्ताव लाया.

बंगाल क्रिकेट संघ के इस प्रस्ताव के बाद बीसीसीआई के एक अधिकारी ने बताया है कि बीते तीन साल से अपने खिलाड़ियों के साथ बीसीसीआई ऐसा करती आ रही है. बंगाल क्रिकेट संघ की ओर से ये अच्छी पहल है लेकिन बीसीसीआई पिछले तीन साल से ऐसा करते आ रही रही है. हर तिमाही में टीम इंडिया के खिलाड़ियों के आँखों का टेस्ट होता है. इसे लेकर वो कहते हैं कि ये अच्छी पहल है क्योंकि क्रिकेट रिफ्लेक्सेस और हाथ-आंख के संयोजन का खेल है. विराट और उनकी टीम बीते तीन साल से हर तिमाही अपनी आंखों की जांच करा रही है. ये अनुबंधित खिलाड़ियों के साथ किए गए करार का हिस्सा है. 

वो आगे कहते हैं कि आपको समझना होगा कि ये हाथ और आंख का संयोजन आपकी ताकत है और अगर किसी को समस्या है, तो आप लेंस या चश्मे की मदद से इसे सुलझा सकते हैं, क्योंकि आप 140 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से भी ज्यादा तेज गेंदों का सामना करते हैं, ऐसे में अगर आप से थोड़ी भी चूक हुई तो काफी नुकसान हो सकता है.

गौरतलब है कि बंगाल क्रिकेट संघ ने कोविड-19 से जुडे़ बैन को हटने के बाद फिर से शिविर लगाने पर अंडर-23 और सीनियर टीम के खिलाड़ियों के लिए आंखों की जांच को अब अनिवार्य कर दिया है. ऐसा पहली बार हुआ है जब घरेलू क्रिकेट में खिलाड़ियों की आंखों की जांच को अनिवार्य किया जाएगा. इसका फैसला कैब प्रशासन और बंगाल क्रिकेट टीम की कोचिंग इकाई के बीच चर्चा के दौरान हुआ.