Jhansi Medical College Fire. झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार रात भीषण आग लगने से 10 नवजात की मौत हो गई. ये अग्निकांड इतना भयानक था कि कोई इसे दोहरा नहीं पा रहा है. प्रबंधन की अव्यवस्था की आग में जले इन शिशुओं की तो ठीक से आंख तक नहीं खुली थी. ये सभी नवजात इस दुनिया को देखने से पहले ही विदा हो गए. चश्मदीदों की मानें तो अगर नवजात शिशु चिकित्सा कक्ष में आग से बचाव के लिए लगाए गए फायर सेफ्टी अलार्म बज जाते तो कई मासूमों की जान बच सकती थी. चंद मिनटों में ही आग भड़क गई और पूरे अस्पताल को अपनी चपेट में ले लिया. इस हादसे को लेकर चौकाने वाली बातें सामने आई है. जिसने मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की अव्यवस्था उजागर करता है.
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प्रत्यक्षदर्शी के मुताबिक बच्चों के वार्ड में एक ऑक्सीजन सिलेंडर के पाइप को लगाने के लिए नर्स ने माचिस की तीली जलाई थी. तीली जलते ही पूरे वार्ड में आग लग गई. आग लगते ही वार्ड में मौजूद प्रत्यक्षदर्शी भगवान दास ने अपने गले में पड़ा कपड़ा निकाला और 3 से 4 बच्चों को उसमें लपेट लिया, जिससे वो बच गए. इसी तरह बाकी लोगों की मदद से कुछ और बच्चों को भी बचाया गया.
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फायर अलार्म भी नहीं बजा
मामले में एक और हैरान करने वाली बात सामने आई है. जैसे ही वार्ड में आग लगी तो फायर अलार्म बजा ही नहीं. प्रबंधन की बदइंतजामी यहीं तक नहीं थी, आग बुझाने के लिए जब फायर सिलेंडर को लिया गया तो वो भी किसी काम का नहीं था. क्योंकि इस सिलेंडर को एक्सपायर हुए 4 साल हो चुके थे. जानकारी के मुताबिक फायर सिलेंडर की एक्सपायरी 2020 की थी. यानी वो सिलेंडर महज दिखावे के लिए रखा गया था. इस घटना से एक चीज साफ होती है कि अस्पताल की बदइंतजामी ने शिशुओं की जान ली है. फायर एस्टिंग्विशर (Fire Extinguisher) की तरह शासन की चिकित्सा व्यवस्था भी एक्सपायर हो चुकी है.
10 में से 7 बच्चों की पहचान
झांसी के चीफ़ मेडिकल सुपरिंटेंडेंट सचिन महोर ने बताया है कि ये घटना ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लगने से हुई है. उन्होंने बताया, “एनआईसीयू वार्ड में 54 बच्चे भर्ती थे और अचानक ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में आग लग गई जिसको बुझाने की कोशिशें की गईं. लेकिन कमरा हाइली ऑक्सिजिनेटेड रहता है तो आग तुरंत फैल गई. इसलिए हमने जितनी कोशिश की जा सकती थी बच्चों को बाहर निकाला. ज्यादातर बच्चों को सकुशल बाहर निकाला गया है. फ़िलहाल 10 बच्चों की मौत हुई है. जिनमें से 3 बच्चों की पहचान अभी नहीं हो पाई है. 39 बच्चों को रेस्क्यू कर लिया गया. सभी बच्चों की हालत स्थिर है
वहीं, चश्मदीदों का कहना है कि हादसा इतना दर्दनाक था कि बताते हुए भी रूह कांप जा रही है. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अगर एनआईसीयू वार्ड में लगा फायर अलार्म बज जाता तो सभी मासूमों की जान बचाई जा सकती है. आग कुछ मिनटों में अन्य वार्डों में भी फैल गई. अन्य वार्डों में धुआं निकलता देख मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया. आग की घटना के बाद अस्पताल में भगदड़ मच गई. सूचना पर पहुंचे दमकलकर्मियों को अंदर जाने का कोई रास्ता नहीं मिला. ऐसे में खिड़की के शीशे तोड़कर वार्ड में पहुंचे और आग पर काबू पाया.
20 बच्चों सुरक्षित निकाला गया बाहर
एक चश्मदीद ने बताया है कि आग लगने के बाद जाली को तोड़कर कई नवजात को बाहर निकाला गया. उनका कहना है कि उनका बच्चा नहीं मिल रहा है. वहीं एक और चश्मदीद कृपाल सिंह राजपूत ने कहा, “वो बच्चे को दूध पिलाने अंदर गए थे उसी दौरान एक मैडम भागते हुए आईं और उनके पैर में आग लगी हुई थी. वो चिल्ला रही थीं. हमने करीब 20 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला और मैडमों को बच्चों को पकड़ाया.”
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