रायपुर. कांकेर में 26 सितंबर को पत्रकारों पर हुए हमले को लेकर बनी जांच समिति की रिपोर्ट में घटना के लिए पुलिस प्रशासन को जिम्मेदार ठहराते हुए आरोपियों से कांग्रेस के संबंध को स्पष्ट किया है. तो दूसरी तरफ पत्रकार कमल शुक्ला और सतीश यादव के पत्रकारिता के बेपटरी होने की बात कही है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दोनों ने अपनी निजी नाराज़गी को पेश करने लगे.
रिपोर्ट में ये भी चौंकाने वाले तथ्य का खुलासा हुआ है कि पत्रकार कमल शुक्ला और कांग्रेस के नेता गफ्फूार मेमन के बीच विवाद की जड़ में सिर्फ 5 हजार रुपये का विज्ञापन है. रिपोर्ट में बताया गया है कि मात्र 5 हज़ार रुपये के विज्ञापन में देरी से कमल शुक्ला इतना बिफरे कि उन्होंने गफ्फार मेमन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. कमेटी ने गफ्फार मेनन कमल शुक्ला के सार्वजनिक बयानों,अखबार, उनके फेसबुक पोस्ट और व्हाट्सअप चैट की पड़ताल की है. इसके आधार पर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि 5 अगस्त को कमल शुक्ला ने शिशुपाल सोरी का 5 हज़ार का विज्ञापन लगाया. इस विज्ञापन का भुगतान में देरी हुई तो कमल शुक्ला ने पैसे लेने से मना कर दिए और शिशुपाल सोरी को इसे शून्य घोषित करने की जानकारी भेज दी. कमल शुक्ला ने कहा कि विज्ञापन का भुगतान जनता के पैसे से करना चाहते हैं. इसलिए वे इसे नहीं ले सकते.
गफ्फार मेमन ने कमेटी को विज्ञापन शून्य घोषित होने की सूचना से पहले का एक व्हाटसएप्प पर संवाद मुहैया कराया. इसकी जांच में कहानी कुछ और नज़र आई. व्हाट्सअप संवाद में कमल शुक्ला ने अपनी नाराज़गी विज्ञापन की देरी से भुगतान पर ज़ाहिर की है. इसके जवाब में गफ्फार ने घर में कोरोना होने का हवाला और कमल के प्रति उसके दिल में इज्जत की दुहाई दी. कमल ने इसके जवाब में गफ्फार को कहा कि वे अब उनकी इज़्जत न करें. उन्हें सब पता है कि ये लोग क्या कर रहे हैं. कमल ने लिखा कि ‘कांकेर में आपके विकास में आप लोगों की भूमिका को मेहनत से पूरे देश में पहुंचाने की कोशिश करूंगा.’ कमल ने ये भी लिखा ‘आज आपने जिस तरह से मुझको सहयोग किया ऐसा ही सहयोग सुमित्रा मारकोले ने भी किया था. ऐसा सहयोग शंकर धुरवा ने किया. अब आदरणीय सोरी जी की तरफ से आपने किया. भगवान सबको राजनीति में आगे बढ़ाए”
जब कमेटी ने इन तथ्यों की जांच की तो पाया कि 15 अगस्त से पहले कमल शुक्ला की फेसबुक पोस्ट में रेत से जुड़ी कोई खबर नहीं दिखी. जबकि इसके बाद लगातार रेत की खबरों से उनके फेसबुक पोस्ट, अख़बार और पोर्टल पट गए. गफ्फार ने आरोप लगाए कि जिन रेत खदानों का लाइसेंस उनका नहीं है वहां की तस्करी से जुड़ी ख़बरों में भी कमल शुक्ला उनका नाम घसीटने लगे थे. कमल शुक्ला ने घटना के दो दिन पहले गफ्फार को जन्मदिन की बधाई इस अंदाज़ में दी- ‘लाइसेंसी रिवाल्वर..लाइसेंसी रेत खदान…..लाइसेंसी विधायक प्रतिनिधि, सौम्य, सुसंस्कृत और सरल छोटे भाई को प्रगति मुबारक़….जन्मदिन की ढ़ेरों बधाई’ गफ्फार ने बताया कि इस दिन उसका जन्मदिन नहीं था.
कमेटी ने इस मामले में निष्कर्ष निकाला कि 5 हज़ार रुपये के विज्ञापन के चलते ही दोनों के बीच टकराव की बड़ी वजह बनी.