कुमार इन्दर, जबलपुर। मध्य प्रदेश में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के मामले में नकली इंजेक्शन बनाने वाले चार आरोपियों को एसआईटी जबलपुर लेकर पहुंची है. आरोपियों को प्रोडक्शन वारंट के जरिए गुजरात पुलिस की गिरफ्त में आए जबलपुर के रहने वाले सपन जैन के अलावा नकली इंजेक्शन फैक्ट्री का मालिक कौशल बोरा, पुनीत शाह और सुनील मिश्रा को जबलपुर लाया गया है. जहां चारों आरोपियों को गुरुवार को कोर्ट में पेश किया गया और कोर्ट से पुलिस 5 दिन की रिमांड मांग रही है.

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बता दें कि गुजरात से लाए गए इन सभी चार आरोपियों पर जबलपुर के ओमती थाने में भी केस दर्ज हैं. अब एससआईटी ने इन्हें प्रोडक्शन वारंट पर लाया है. हालांकि इससे पहले भी दो बार एसआईटी ने यह प्रयास किया था, लेकिन तब पुलिस को सफलता नहीं मिल पाई थी. हालांकि इस बार एसआईटी सफल रही और बुधवार व गुरुवार की रात करीब एक बजे सभी आरोपियों के साथ टीम जबलपुर पहुंच गई. कोर्ट से रिमांड मिलने के बाद नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के मास्टरमांइडों से उनके कनेक्शन के अलावा मामले से जुड़े अन्य कई तथ्यों की सख्ती से पूछताछ की जाएगी. जिसमें कई बड़े खुलासे हो सकते हैं.

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मामले में अबतक पुलिस ने 10 लोगों को आरोपी बना चुकी है. जिसमें सिटी हॉस्पिटल का संचालक सरबजीत सिंह मोखा, उसकी पत्नी सिमरत कौर मोखा, बेटा हरकरण सिंह मोखा, मैनेजर सोनिया खत्री, सिटी हॉस्पिटल का फार्मासिस्ट देवेश चौरसिया, एमआर राकेश शर्मा को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है.

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ये है पूरा मामला

गौरतलब है कि नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के कारोबार का गुजरात पुलिस ने एक मई को खुलासा किया था. इंजेक्शन की खरीद फरोख्त में अधारताल निवासी सपन जैन का नाम सामने आया था. गुजरात पुलिस ने जबलपुर पहुंचकर छह मई को सपन जैन को गिरफ्तार किया था. 1200 इंजेक्शन इस नेट्वर्क के ज़रिए मध्य प्रदेश पहुंचे थे. जिनमे 700 इंदौर तो 500 जबलपुर में सप्लाई किए गए थे. जिसके बाद उसने सिटी अस्पताल के संचालक सरबजीत सिंह मोखा द्वारा 500 नकली इंजेक्शन खरीदने की जानकारी दी थी. नकली इंजेक्शन की खेप 23 व 27 अप्रैल को जबलपुर लाई गई थी. पुलिस की जांच में पता चला कि 171 मरीजों को 209 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए गए थे. जिनमें नौ मरीजों की मौत हो चुकी है.

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