शिखिल ब्यौहार,भोपाल। मध्य प्रदेश के नगरीय निकायों की कंगाली ठीक उसी तरह जग जाहिर है जैसा की ‘मौसम का हाल’। हाल ही में प्रदेश के 70 से अधिक बीजेपी के नगर पालिका अध्यक्षों ने नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय से मुलाकात कर निकायों की बदतर होती स्थिति से दो-चार कराया। अब सरकार के एक निर्णय ने निकायों की टेंशन और बढ़ा दी है।

दरअसल, उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए प्रॉपर्टी टेक्स में छूट देने का मसौदा तैयार किया गया है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग संचालनालय ने प्रस्ताव को शासन को भेज दिया है। पहले से ही तंगहाल निकायों पर इसका असर भी पड़ना तय है। मामले पर कांग्रेस ने सरकार की प्लानिंग पर कई सवाल खड़े किए। कांग्रेस ने कहा कि, तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने भी उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए पॉलिसी तैयार की थी।

कांग्रेस का आरोप

कई प्रकार की छूट का भी प्रावधान किया गया था। लेकिन, इसमें छूट के साथ उद्योगों के लाभांश का हिस्सा भी संबंधित निकायों में खर्च करने का खाका भी तैयार किया गया था। ताकि छूट का असर संबंधित शहर की सरकार, विकास और निकायों की वित्तीय स्थिति पर न पड़े। कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता स्वदेश शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार ने भले ही कमलनाथ की नीतियों की नकल तो की पर अकल नहीं लगाई।

वर्तमान हालात ऐसे है कि नगर पालिका, नगर परिषद और नगर निगमों में कर्मचारियों को वेतन तक नहीं मिल पा रहा है। करोड़ों रुपयों की घोषणाएं के तले निकाय दबे हुए हैं। कांग्रेस उद्योगों को बढ़ावा देने का विरोध नहीं करती। सरकार को ऐसी नीति पर अमल करना चाहिए ताकि कर्जदार मध्यप्रदेश और कर्ज में न डूबे।

बीजेपी का पलटवार

वहीं मामले पर बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता शुभम शुक्ला ने पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी व्यवसाह नहीं करती बल्कि व्यापार-व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए काम कर रही है। नीति से उद्योगों का विकास होगा। लिहाजा प्रदेश की आर्थिक स्थिति सुधरेगी और रोजगार का सृजन भी होगा। बीजेपी ने यह भी कहा कि निकायों की स्थिति सुधार के लिए सरकार लगातार काम कर रही है।

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