श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद बहुत कुछ बदल गया है, और जो कुछ थोड़ा-बहुत बचा है, वह भी धीरे-धीरे बदल रहा है. ऐसा ही एक मामले में दिवंगत अलगाववादी नेता दिवंगत सैयद अली शाह गिलानी की पोती और जेल में बंद डेमोक्रेटिक फ्रीडम पार्टी के संस्थापक शब्बीर शाह की बेटी ने एक ही दिन कश्मीर के स्थानीय अखबारों में दिए हलफनामे में भारत के प्रति अपनी वफादारी जताते हुए अलगाववादी विचारधारा से खुद को अलग करार दिया है. इसे भी पढ़ें : इसरो ने लॉन्च किया पुष्पक विमान, भारत के भविष्य का है रियूजेबल प्रक्षेपण यान…

सैयद अली शाह गिलानी की 40 वर्षीय पोती रुवा शाह ने अखबारों में नोटिस की शक्ल में दिए गए हलफनामे में कहा, “मैं भारत की एक वफादार नागरिक हूं, और ऐसे किसी संगठन या संघ से संबद्ध नहीं हूं, जिसका एजेंडा भारत संघ के खिलाफ है… मैं अपने देश (भारत) के संविधान के प्रति निष्ठा रखती हूं.”

इसी तरह शाह की 23 वर्षीय बेटी समा शब्बीर ने एक अन्य दैनिक में एक हलफनामे में इसी तरह की घोषणा की. उन्होंने अलगाववादी संगठन से उनका संबंध जोड़ने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी देते हुए कहा, ”मैं किसी भी तरह से डीएफपी या इसकी विचारधारा से जुड़ी नहीं हूं.”

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अलगाववादी नेताओं की दोनों वंशजों द्वारा एक ही दिन भारत के प्रति “निष्ठा” की समान घोषणा करने का मामला एक संयोग से भी अधिक हो सकता है. सूत्रों ने बताया कि रुवा और सामा दोनों के भारतीय पासपोर्ट अज्ञात कारणों से जब्त कर लिए गए हैं.
ब्रिटिश यूनिवर्सिटी में कानून की पढ़ाई कर रही समा को हाल ही में अपने पिता से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी का समन मिला था. अपनी शिक्षा के लिए मैनचेस्टर चले जाने के तुरंत बाद एजेंसी ने उन्हें 2019 में तलब किया था.

वहीं श्रीनगर के सरकारी अस्पताल में कार्यरत उनकी मां डॉ. बिल्किस शाहमनी लॉन्ड्रिंग के मामले में सह-अभियुक्त हैं. मामले में गिरफ्तार किए गए लोगों में से एक असलम वानी ने जांचकर्ताओं को बताया कि उसने कई मौकों पर बिलकिस और उसके पति को लॉन्ड्रिंग नकदी सौंपी थी, जिसके बाद ईडी ने 2020 में दायर एक पूरक आरोप पत्र में उसका नाम लिया.

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रूवा के पिता अल्ताफ शाह उर्फ फंटूश आतंकी फंडिंग के आरोप में गिरफ्तारी से पहले तक अपने ससुर गिलानी के करीबी वैचारिक सहयोगी थे. 2017 में एनआईए ने उसे तिहाड़ जेल में डाल दिया. अक्टूबर 2021 में कैंसर से उनकी मृत्यु हो गई.

रुवा ने दिल्ली में पत्रकारिता और जनसंचार की पढ़ाई के लिए ब्रेक लेने से पहले सऊदी एयरलाइंस के चालक दल के सदस्य के रूप में अपना करियर शुरू किया. 2020 में, वह तुर्की सरकार द्वारा दी गई छात्रवृत्ति पर इस्तांबुल गई और जल्द ही वहां स्थानीय टेलीविजन पर अपने “रूवा शाह शो” के माध्यम से कथित भारत विरोधी प्रचार शुरू कर दिया.

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हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के संस्थापक की मृत्यु के एक महीने के भीतर अक्टूबर 2021 में अपने पिता की मृत्यु के बाद गिलानी की पोती भारत लौट आई. इसके तुरंत बाद उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया था.