संदीप शर्मा, विदिशा। मुबारक हो ‘अयोध्या’ हुई है! जी हां… सही पढ़ा आपने। बेटी के जन्म पर आपने अफसोस मनाते हुए लोगों को देखा होगा। लेकिन मध्यप्रदेश के विदिशा से एक ऐसी तस्वीर निकलकर आई है, जो उन लोगों के लिए सीख जो बेटियों से करते हैं नफरत और उन्हें ‘बोझ’ समझते हैं। घर में बेटी के जन्म पर परिवार ने ऐसा जश्न मनाया कि हर कोई उनका कायल हो गया। 

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सोमवार को जब अस्पताल से लेकर मां अपनी बेटी को लेकर घर पहुंची तो परिवार के सदस्यों ने ढोल-नगाड़ों के साथ स्वागत किया। साथ ही पटाखे फोड़कर जमकर डांस किया। इस दौरान घर को अच्छे से सजाया गया था। बेटी के जन्म पर जश्न का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। 

विदिशा में वी-टेक स्कूल के संचालक मयंक कर्ण के यहां, जब प्रथम संतान के रूप में कन्या ने जन्म लिया तो उनकी खुशियों का ठिकाना नही रहा। कन्या को ‘अयोध्या’ नाम दिया गया है ।

विदिशा जिला अस्पताल से मासूम अयोध्या जब अपने घर पहुंची तो ढोल-नगारों के साथ धूमधाम से स्वागत किया गया। पूरे गली मोहल्ले और घर को गुब्बारों और फूल मालाओं से सजाया गया। बेटी अयोध्या के स्वागत में पोस्टर लगाए। ऐसा लग रहा था मानो किसी खास शख्शियत का आगमन हो रहा हो। इस अवसर पर परिजनों के साथ मोहल्ले वालों ने भी अयोध्या के स्वागत में ढोल की थाप पर नाचकर अपनी खुशियों का इजहार किया।

परदादी बोली कन्याओं का सशक्तिकरण जरूरी

अयोध्या की परदादी रामकली देवी कर्ण भी आज बहुत खुश हैं। उन्हें नाचना भी नही आता फिर भी परपोती के घर आगमन पर जमकर नाची। उन्होंने कहा कि वो पुराना समय था जब लड़कियों को घर मे रखा जाता था उन्हें बोझ समझा जाता था। उन पर तमाम बंदिशें होती थी। इससे तंग आकर वह कुछ अपनी जान भी दे देती थी। अब कन्याओं के सशक्तिकरण का जमाना है। सरकार भी प्रयास कर रही है लोगो को जागरूक कर रही है। लोगों को लड़कियों को पढ़ा लिखा कर आगे बढ़ाना चाहिए।उनके जन्म लेने पर लड़को से ज्यादा खुशी मनाना चाहिए।

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पिता अपने स्कूल में  जरुरतमंद लड़कियों को मुफ्त पढ़ाएंगे

अयोध्या के पिता मयंक बहुत खुश हैं। उन्होंने अस्पताल से घर तक अपनी खुशियों का जमकर इज़हार भी किया। अयोध्य़ा के जन्म की खुशी में सपरिवार रक्तदान करेंगे। वहीं जो बच्चियां संसाधनों के अभाव में पढ़ने से वंचित उन्हें न केवल निशुल्क पढ़ाएंगे बल्कि उनकी किताबो का खर्च भी खुद उठाएंगे।

 

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