आज शनिवार है. आज भगवान शनिदेव की पूजा का विशेष महत्व है. भगवान शनिदेव को ग्रहों में सबसे प्रभावशाली माना गया है और वह मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं. यही एक वजह हैं कि लोग उनकी पूजा में बहुत सावधानी बरतते हैं और उनकी प्रकोप से बचने के लिए शनिवार के दिन उनकी पूजा करते हैं.
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- शनि शिंगणापुर
महाराष्ट्र में स्थित इस मंदिर की ख्याति देश ही नहीं विदेशों में भी है. कई लोग तो इस स्थान को शनि देव का जन्म स्थान भी मानते है. ऐसा कहा जाता है कि यहां शनि देव हैं, लेकिन मंदिर नहीं है. घर है परंतु दरवाजा नहीं और वृक्ष है लेकिन छाया नहीं है. शिंगणापुर के इस चमत्कारी शनि मंदिर में स्थित शनिदेव की प्रतिमा लगभग पांच फीट नौ इंच ऊंची व लगभग एक फीट छह इंच चौड़ी है. देश-विदेश से श्रद्धालु यहां आकर शनिदेव की इस दुर्लभ प्रतिमा का दर्शन लाभ लेते हैं.
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- शनि मंदिर इंदौर
इंदौर में शनिदेव का प्राचीन व चमत्कारिक मंदिर जूनी इंदौर में स्थित है. यह मात्र हिंदुस्तान का ही नहीं, दुनिया का सबसे प्राचीन शनि मंदिर है. ऐसा माना जाता है कि जूनी इंदौर में स्थापित इस मंदिर में शनि देवता स्वयं पधारे थे. इस मंदिर के बारे में एक कथा प्रचलित है कि मंदिर के स्थान पर लगभग 300 वर्ष पूर्व एक 20 फुट ऊंचा टीला था, जहां वर्तमान पुजारी के पूर्वज पंडित गोपालदास तिवारी आकर ठहरे थे.
- शनिचरा मंदिर, मुरैना
मध्य प्रदेश में ग्वालियर के नजदीकी एंती गांव में शनिदेव मंदिर का देश में विशेष महत्व है. देश के सबसे प्राचीन त्रेतायुगीन शनि मंदिर में प्रतिष्ठत शनिदेव की प्रतिमा भी विशेष है. माना जाता है कि ये प्रतिमा आसमान से टूट कर गिरे एक उल्कापिंड से निर्मित है. ज्योतिषी व खगोलविद मानते है कि शनि पर्वत पर निर्जन वन में स्थापित होने के कारण यह स्थान विशेष प्रभावशाली है. महाराष्ट्र के सिगनापुर शनि मंदिर में प्रतिष्ठित शनि शिला भी इसी शनि पर्वत से ले जाई गई है. कहते हैं कि हनुमान जी ने शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त कराकर उन्हें मुरैना पर्वतों पर विश्राम करने के लिए छोड़ा था. मंदिर के बाहर हनुमान जी की मूर्ति भी स्थापित है.
- शनि मंदिर, प्रतापगढ़
भारत के प्रमुख शनि मंदिरों में से एक शनि मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में स्थित है जो शनि धाम के रूप में प्रख्यात है. प्रतापगढ़ जिले के विश्वनाथगंज बाजार से लगभग 2 किलोमीटर दूर कुशफरा के जंगल में भगवान शनि का प्राचीन पौराणिक मन्दिर लोगों के लिए श्रद्धा और आस्था के केंद्र हैं. कहते हैं कि यह ऐसा स्थान है जहां आते ही भक्त भगवान शनि की कृपा का पात्र बन जाता है. चमत्कारों से भरा हुआ यह स्थान लोगों को सहसा ही अपनी ओर खींच लेता है. अवध क्षेत्र के एक मात्र पौराणिक शनि धाम होने के कारण प्रतापगढ़ (बेल्हा) के साथ-साथ कई जिलों के भक्त आते हैं. प्रत्येक शनिवार भगवान को 56 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है.