कांकेर। कांकेर जिले में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसानों ने अपनी 11 सूत्रीय मांग को लेकर कलेक्टर कार्यालय का घेराव कर दिया. रूक-रूक कर हो रही बारिश के बाद भी किसान डटे रहें, और सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. इस बीच पुलिस ने सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किये थे. और आंदोलनकारी किसानों को रोकने के लिए कलेक्टोरेट से पहले ही बैरिकेट लगाये गये थे. पुलिस ने प्रदर्शनकारी किसानों की नाराजगी को देखते हुए उन्हें पहले ही रोक दिया. जिसके बाद खुद अपर कलेक्टर आर आर ठाकुर किसानों के बीच पहुंचीं और उन्हें किसानों ने राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौपा. और जल्द ही मांगो को पूरा करने की मांग की.
किसान नेताओं ने कहा कि राज्य सरकार किसानों की मांग पूरा नहीं करती है तो और उग्र आंदोलन किया जायेगा. वही भारतीय जनता पार्टी के द्वारा किये गये चुनावी वायदे को पूरा करने की मांग की. किसानों ने धान का 300 रूपये बोनस देने की घोषणा को धोखा बताया है. वहीं, सोसायटी बैंक से किसानों द्वारा लिये गये अल्पकालीन और दीर्घकालीन कर्ज को तत्काल माफ करने की मांग की. जिन किसानों ने खेती के लिए सोसायटी और बैंक से कर्ज नहीं लिया है, उन्हें अतिरिक्त समय देकर किसानों का बीमा कराया जाये. इसके साथ ही सभी किसानों का पांच हार्स पॉवर पंप कनेक्शन के बिजली बिल माफ किया जाये.
किसानों ने कहा कि अकाल संहिता अधिनियम के तहत कांकेर जिले को सूखा घोषित किया जाये. और किसानों को क्षतिपूर्ति राहत राशि दी जाये. किसानों के लिए सूखा राहत कार्य की शुरुआत की जाये. ग्रामीण इलाकों में नदियों के कटाव से कृषि भूमि चौपट हो रही है, नदी कटाव को रोकने के लिए शासन-प्रशासन जल्द ही तटबंध निर्माण की स्वीकृति दें. दुधावा के दायी तट नहर योजना को सोनपुर, रिसेवाड़ा, खल्लारी और सियारीनाला बांध तक विस्तार किया जाये. ताकि कम बारिश की स्थिति में दुधावा बांध से पानी का विस्तार तासी और चारामा इलाके के गांवों में सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जा सकें.
इसके साथ ही साथ तासी से दुधावा तक नहर का निर्माण भी करने की मांग की गई है. और खेतों तक बिजली पहुंचाने की योजना के तहत किसानों को अनुदान राशि दिये जाने की मांग की गई. सरकार द्वारा अभी किसानों को अनुदान राशि नहीं दिया जा रहा है, जो पहले दिया जाता था. किसान नेताओं ने कहा कि प्रशासन ने जल्द ही मांगो पर विचार कर ठोस कार्रवाई की बात कही है, अगर मांगे नहीं मानी गई तो उग्र आंदोलन किया जायेगा, जिसकी पूरी जवाबदारी शासन और प्रशासन की होगी.