खूबसूरत और नरमो नाजुक फूलों के बाग की तस्वीर देखकर ही मन महक उठता है. फूलों के साथ प्यार का रिश्ता सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं होता बल्कि फूलों के उपहार के साथ-साथ कोमल भावनाएं भी जुड़ जाती हैं. फूलों का साथ एक रोमांटिक अहसास जगाता है. आमतौर पर माना जाता है कि फूलों की खूबसूरती और खुशबू ठंडे मौसम की उपज हैं और इस उपज के लिए बहुत खास पर्यावरण की जरूरत होती है. फूलों की इन खास अदाओं के साथ अगर आजीविका का नाता जुड़ जाए तो जिंदगी कैसे महकने लगेगी यह सोच भी अपने आप में बेहद हसीन है. फूलों की खेती और इसका व्यापारिक पैमाने पर उत्पादन छत्तीसगढ़ के लिए एक नया सपना जरूर है. लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार की विशेष पहल के कारण यह सपना भी सच होने लगा है. धान -दलहन-तिलहन उद्यानिकी के किसानों की तरह अब छत्तीसगढ़ में फूलों के किसान भी तरक्की करने लगे हैं. यह छत्तीसगढ़ की खुशहाली का एक नया अध्याय है.

राज्य के किसान पहले केवल धान की खेती पर ही ज्यादातर निर्भर थे. फिर उनकी दलहन तिलहन, मिलेट्स की उपज को समर्थन मूल्य में खरीदकर भूपेश सरकार ने संबल दिया गया. किसानों की कमाई दोगुनी-तिगुनी करने के मकसद से अब उन्हें फूलों की खेती के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है. यही वजह है कि इस क्षेत्र में भी किसानों की दिलचस्पी बढ़ी है और उनके लिए कमाई के अवसर बढ़े हैं. वर्ष 2017-18 में 749 एकड़ रकबा में 1699 किसान लाभान्वित हुए थे, वहीं पिछले चार सालों में यह 5621 एकड़ रकबे में 8896 किसान लाभान्वित हुए हैं. इन किसानों को अनुदान देकर कृषि में उनकी मदद की गई और उन्हें अपने उत्पाद बाजार में बेचने में सहायता प्रदान की जा रही है.

फूलों की खेती में तकनीक और उत्पाद को बढ़ावा

सरकार आधुनिक शेडनेट, पॉली हाऊस, ड्रिप सिस्टम एवं मल्चिंग जैसी तकनीकों के इस्तेमाल के जरिए किसानों को फूलों की खेती में अनुदान के जरिए मदद कर रही है. साथ ही विशेषज्ञों के जरिए उन्हें जानकारी देकर उत्पाद को बढ़ावा दिया जा रहा है और किसानों को अपनी उपज का वाजिब मूल्य मिले, इसके लिए उन्हें अन्य महानगरों जैसे हैदराबाद, अमरावती, नागपुर, भुवनेश्वर और पुणे के बाजारों से जोड़ा जा रहा है.

सरकार ने बेहतर तकनीक उपलब्ध कराई, इसलिए बढ़ी डिमांड छत्तीसगढ़ में पहले बाहर राज्यों से फूलों की आपूर्ति होती थी, लेकिन अब यहीं इस बाजार का विस्तार हो रहा है. सरकार के द्वारा बेहतर तकनीक उपलब्ध कराने से न केवल राज्य के कारोबारियों के लिए बल्कि बाहर राज्यों के शहरों में भी इसकी डिमांड बढ़ी है. उद्यानिकी विभाग द्वारा शासन की योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए लगातार काम किया जा रहा हैं. शासन की शेड नेट योजना का फायदा किसान ले रहे हैं. खेती किसानी के लिए शेड नेट पद्धति बहुत ही कारगर है. इससे फसल कीड़े एवं बीमारी से सुरक्षित रहती है. लंबे समय तक फसल के लगे रहने से किसानों को दुगुना मुनाफा हो रहा है. ऐसी फसल जो गर्मी के मौसम में नहीं ले सकते उसके लिए यह पद्धति उपयोगी रबी और जायद की फसल के लिए बहुत अच्छी है. वहीं बरसात में मौसम में थरहा सुरक्षित रहता है और नुकसान नहीं होगा. राष्ट्रीय बागवानी मिशन के अंतर्गत संरक्षित खेती के लिए 50 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है. जिसके अंतर्गत 710 प्रति वर्ग मीटर पर 355 वर्ग मीटर में अनुदान का प्रावधान है. किसान अधिकतम 4000 वर्गमीटर में शेड नेट लगा सकते हैं.

फायदे की खेती

पहले सामान्य तौर पर पूजा-पाठ, धार्मिक अनुष्ठान और शादी-ब्याह में फूलों का इस्तेमाल होता था. लेकिन अब फूलों का इस्तेमाल यहीं तक सीमित नहीं रह गया है. आज इसका उपयोग घर, ऑफिस, जन्मदिन और शादी सालगिरह के मौके पर सजावट के कार्यों में बड़ी मात्रा में किया जा रहा है. बढ़ती मांग को देखते हुए छत्तीसगढ़ के किसान अब फूलों की व्यावसायिक खेती भी करने लगे हैं. वर्तमान समय में कई सफल किसान इसकी खेती करके बहुत अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

सुनिश्चित हुआ स्वरोजगार, सालभर हो रही खेती

फूलों की खेती करने वाले किसान गांव के दूसरे बेरोजगार लोगों को रोजगार देने का काम कर रहे हैं. दुर्ग के किसान निलेश कुमार बताते हैं कि वो अपने खेतों के पाली हाउस और अन्य फसलों के लिए कम से कम दस श्रमिकों को सालभर रोजगार भी नियमित रूप से दे रहे हैं. इन श्रमिकों का काम पौधों को समय-समय पर खाद, पानी देने से लेकर फूलों की कटिंग कर बाजार तक पहुंचाने का होता है. डोंगरगढ़ विकासखंड के फूलों की खेती में काम करने वाले श्रमिक किसान जितेन्द्र निषाद, राज कुमार, गंगोत्री और ज्योति ने बताया कि अब हमें सालभर यहां काम मिल रहा है, पहले सिर्फ एक ही सीजन में काम मिलता था. इससे हमारे परिवार का खर्चा अच्छे से चल रहा है. जीवन का स्तर पहले के हिसाब से बहुत ही बेहतर हो गया है. यह सब
हमारे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की वजह से हो सका है.