चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 के मद्देनजर राजनीतिक दलों ने अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं. पार्टियां रैलियों और सभाओं की तैयारियों में जुटी हैं, लेकिन अब उन्हें किसान संगठनों ने बड़ा ‘झटका’ दिया है और रैलियां नहीं करने के लिए कहा है.

किसानों ने रखी मांग

संयुक्त किसान मोर्चा ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पंजाब की सियासी पार्टियों के लिए अपनी ‘आचार संहिता’ जारी कर दी है. किसान मोर्चा ने चुनाव आचार संहिता लागू होने तक पार्टियों को रैलियां नहीं करने को कहा है. किसान संगठनों ने कहा है कि अगर कोई पार्टी ऐसा करती है, तो वे उसे किसान मोर्चे की विरोधी पार्टी समझेंगे. इसके साथ ही उनके आयोजन का विरोध भी होगा.

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सियासी दल अपने नुकसान के जिम्मेदार खुद होंगे- किसान संगठन

बीजेपी को छोड़कर अन्य राजनीतिक दलों के साथ बैठक करने के बाद किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि बैठक अच्छे माहौल में हुई. हमने अपने कैडर से आग्रह किया है कि राजनीतिक पार्टियों का घेराव नहीं करें, लेकिन राजनीतिज्ञों को भी यह समझना चाहिए कि चुनाव से छह महीने पहले ही वह अपनी गतिविधियां शुरू करके किसान आंदोलन को नुकसान न पहुंचाएं. यदि किसानों ने विरोध किया, तो उसके नुकसान के वे खुद जिम्मेदार होंगे.’

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राजेवाल ने कहा कि ‘राजनीतिक पार्टियां जब रैलियां करती हैं, तो हमारे किसानों का ध्यान उस तरफ चला जाता है, जो हमारे लिए नुकसानदायक है.’

सियासी दलों के सामने रखी ये मांग

पार्टियां घोषणापत्र को कानूनी दस्तावेज बनाएं. कृषि कानूनों के विरोध में संसद के सामने धरना दें. पार्टियों ने किसान आंदोलन में सहयोग देने का भी प्रस्ताव दिया, लेकिन राजेवाल ने कहा कि अगर आपको आंदोलन में शामिल होना है, तो आप कृषि कानूनों को रद्द करवाने की मांग पर संसद भवन के सामने धरना दें. उन्होंने कहा कि लैंड रिकॉर्ड देने के लिए किसानों को मजबूर नहीं किया जाए. किसान मोर्चा ने कांग्रेस सरकार की ओर से फसल बेचने के लिए मांगे जा रहे लैंड रिकॉर्ड का मुद्दा भी उठाया. राजेवाल ने कहा कि पंजाब में ज्यादातर किसानों के संयुक्त खाते हैं.

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इधर शिअद नेता प्रो प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि हम संयुक्त मोर्चा के कार्यक्रम के दिन रैली नहीं करेंगे. हमारी लड़ाई राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के साथ है. हालांकि उन्होंने कहा कि लोगों के पास जाना हमारा अधिकार है और इस पर रोक नहीं लगाई जाए.

किसानों का हर फैसला मंजूर- आप

इधर आम आदमी पार्टी ने कहा कि हम किसान संगठनों का हर फैसला मांगेंगे, लेकिन फिर आपकी मांगें प्रदेश सरकार के लिए भी हो. कहीं ऐसा न हो कि राज्य सरकार अपने सरकारी कार्यक्रमों के बहाने चुनाव प्रचार करे.

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कांग्रेस ने कहा किसानों के साथ हैं हम

वहीं कांग्रेस ने भी किसानों का साथ देने की बात कही है. उन्होंने कहा कि हम किसानों के साथ खड़े हैं. अगला फैसला पार्टी और सरकार के प्लेटफॉर्म पर बात करके लेंगे. तीन कृषि कानूनों में संशोधन का सबसे पहला कदम कांग्रेस सरकार ने ही उठाया है.’