सरगुजा. पिछले 22 सालों में छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के परसा गांव ने पूरे देश में विकास का एक अलग उदाहरण प्रस्तुत किया है. आर्गेनिक फार्मिंग के चलते स्थानीय किसानों की आय दोगुनी हो गई है और शहरी उपभोक्ताओं को उन्नत किसम के खाद्यान तथा सब्जिया मुहैया हो रही है. राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड की इस प्रगतिशील पहल को स्थानीय प्रशासन ने तो सराहा ही है. साथ में इस प्रयोग को देखने-समझने के लिए अब दूर-दूर से जागरूक किसान परसा आने लगे हैं. आंकड़ों के हिसाब से सिर्फ परसा गांव में 200 से अधिक किसान आजकल आर्गेनिक फार्मिंग के जरिए अपनी सालाना आय को दुगना कर चुके हैं.

देश के सबसे नए राज्यों में से होने के बावजूद छत्तीसगढ़ आजकल कई ऐसे कार्य कर रहा है, जिसे देख कर अन्य क्षेत्र के लोग भी प्रोत्साहित हो रहे हैं. आर्गेनिक फार्मिंग या जैविक खेती उनमें से ही एक ऐसा कदम है, जिसमें छत्तीसगढ़ के दूर-दराज के किसानों ने एकजुट होकर पूरे देश के बाकी किसानों को नई दिशा दिखाई है. इन्ही किसानों की सालाना आय एक साल पहले तक 60,000 – 65,000 रुपए हुआ करती थी, जबकि अब वो 1,20,000 रुपए तक कमा रहे हैं और अपनी बढ़ी हुई आमदनी से अपने परिवार के लिए कई तरह की सुविधाओं को जुटाने में सक्षम हो रहे हैं.

एक किसान 500 एकड़ में कर रहा जैविक खेती
किसान दिनेश यादव ने आर्गेनिक फार्मिंग की नई तकनीक का उपयोग करके अपने 500 एकड़ जमीन में धान, दाल, गेहूं और सब्जियों की फसल को दोगुनी से भी ज्यादा कर चुके हैं. उन्होंने बताया कि एक साल पहले मुझे आर्गेनिक फार्मिंग के बारे में स्थानीय कार्यक्रम से पता चला था. इसके पहले हम लोग पारम्परिक तरीके से ही खेती करते थे और सीमित आय होने की वजह से जीवन संघर्ष में चलता था. आर्गेनिक फार्मिंग के बारे में पता चलने के बाद मैंने सिर्फ एक एकड़ जमीन से शुरआत की, लेकिन अच्छी फसल आता देखकर अब मैं अपनी पूरी जमीन पर सिर्फ आर्गेनिक फार्मिंग करता हूं.

2021 में आर्गेनिक फार्मिंग की डाली गई थी नींव
साल 2021 में अडानी फाउंडेशन ने प्रोजेक्ट अन्नपूर्णा के माध्यम से परसा में आर्गेनिक फार्मिंग की नींव डाली थी और किसानों को इसके संबंध में ट्रेनिंग देना शुरू किया. ट्रेनिंग प्रोग्राम के अंतर्गत जहां किसानों को आर्गेनिक फार्मिंग के फायदे बताए गए थे, वहीं उन्हें उन्नत किस्म के हाइब्रिड बीज, आर्गेनिक खाद और कृमि खाद भी मुहैया कराई जाती है.सिर्फ एक साल में फाउंडेशन ने 2000 लीटर से अधिक आर्गेनिक खाद का वितरण किया है और परसा में एक वर्मी कम्पोस्ट यूनिट की स्थापना भी की है. फाउंडेशन के कृषि विशेषज्ञ किसानो को आधुनिक खेती के नुस्खे और जैविक खादों का प्रयोग भी समय-समय पर सिखाते रहते हैं.


बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ा रहे किसान
दिनेश यादव की तरह परसा में ऐसे अनेक किसान हैं, जो इस खेती की इस नई प्रक्रिया को सीखकर न सिर्फ अपने बच्चों को अच्छे स्कूलों में भेज रहे हैं, बल्की अपने जीवन स्तर में भी काफी सुधार ला चुके हैं.परसा की तरह ही आरआरवीयूएन एल और अडाणी फाउंडेशन प्रदेश के बाकी कई जगहों पर सामाजिक उत्थान के काम में लगे हुए हैं.

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