कुमार इंदर, जबलपुर। मध्य प्रदेश सरकार किसानों को प्राकृतिक खेती के लाभ समझाने के लिए ‘एक चौपाल प्राकृतिक खेती के नाम’ कार्यक्रम शुरू कर रही है। इसकी शुरुआत आज गुरुवार को जबलपुर से हुई। इस अवसर पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और कृषि मंत्री इंदर सिंह कंसाना शामिल हुए। 

बता दें कि यह कार्यक्रम लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह के नेतृत्व में आयोजित किया गया। इस चौपाल में किसानों को प्राकृतिक खेती के फायदे बताए गए। साथ ही उन्हें रासायनिक खेती से बचने के लिए प्रेरित भी किया गया। किसानों को प्राकृतिक खेती की वर्कशॉप भी कराई गई, ताकि वे स्वस्थ और टिकाऊ कृषि की दिशा में कदम बढ़ा सकें। इस कार्यक्रम में प्रदेश भर के हजारों किसानों ने भाग लिया।  जो उनके लिए खेती की दिशा बदलने का अच्छा अवसर हो सकता है। 

पहले के जमाने में प्राकृतिक खेती ही होती थी- मुख्यमंत्री 

सीएम ने इस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि पहले के ज़माने में प्राकृतिक खेती ही हुआ करती थी। मैं खुद भी खेती किया हूं और मैं भी प्राकृतिक खेती करता था। लेकिन खेती करते-करते समझ में ही नहीं आया कि कैसे पश्चिमी सभ्यता किसानी में आकर मिल गई। सीएम ने कहा कि पहले की सरकारों ने पाप किया हमने उसे सुधारा। यह सब षड्यंत्र का हिस्सा है कि हम रासायनिक खेती के शिकार हो गए। 

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मंच से ऐलान किया कि प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहन योजना बनाई जाएगी। देश में सबसे ज्यादा अगर कहीं  प्राकृतिक खेती होती हो, तो वह मध्य प्रदेश में है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती कर रहे किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा। जिन किसानों को प्रशिक्षण चाहिए उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। प्रधानमंत्री ने प्राकृतिक खेती को सारे देश में चलाने का निर्णय लिया है। 

रासायनिक खाद डालकर जहर देने का कर रहे काम-  आचार्य देवव्रत

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गुजरात के राज्यपाल  आचार्य देवव्रत ने कहा कि भारत में हर साल हजारों किसान खेत में दवाई का छिड़काव करते-करते मर जाते हैं। खेत में रासायनिक खाद डालकर आप डायरेक्ट जहर देने का काम कर रहे हैं। खेत में रासायनिक खाद का छिड़काव करना महापाप जैसा है। उन्होंने कहा कि पिछले 8 साल से 180 एकड़ में प्राकृतिक खेती कर रहा हूं, मैंने एक भी रासायनिक चीज का छिड़काव नहीं किया। पूरे भारत में जैविक खेती का कोई मॉडल नहीं है। किसान सिर्फ उत्पादन घटने के डर से जैविक कहती नहीं कर रहा है। 

आचार्य देवव्रत ने कहा कि देश में इतना पशुधन नहीं है कि उनसे जैविक खेती की जा सके।जैविक खेती और प्राकृतिक खेती में जमीन आसमान का अंतर है। इस समय दुनिया की सबसे बड़ी चुनौती ग्लोबल वार्मिंग है। धरती का एक डिग्री भी तापमान बढ़ता है तो लाखों टन उत्पादन कम हो जाएगा। रासायनिक खेती कार्बन डाइऑक्साइड से 300 गुना ज्यादा नुकसान करती है। सारे देश की धरती रासायनिक खेती के चलते बंजर हो चुकी है। रासायनिक खेती करके आप धरती से जबरदस्ती अनाज पैदा कर रहे हैं। रासायनिक खेती के चलते जमीन का पानी घट रहा है। रासायनिक खेती से चलते जमीन में केमिकल की परत जम चुकी है जिसके चलते बरसात का पानी नीचे जमीन में ना जाकर ऊपर बह जाता है। 

गुजरात के राज्यपाल ने कहा कि आज कोई घुटनों से काम नहीं करता, लेकिन सबके घुटने खराब है। यह सब रासायनिक खेती का असर है। रासायनिक खेती के चलते तेजी से हार्ट अटैक बढ़ रहा है, छोटे-छोटे बच्चों को हार्ट अटैक भी आ रहा है। रासायनिक खेती के चलते धरती बंजर हो रही है और बारिश में बाढ़ आ रही है। रासायनिक खेती के चलते धरती की पानी सोखने की क्षमता खत्म हो चुकी है। 

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