नई दिल्ली. करनाल लाठीचार्ज के बाद किसानों में बहुत गुस्सा है. किसानों की एक महापंचायत में सोमवार को मांग की गई कि करनाल में हुए लाठीचार्ज में शामिल अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए. किसानों ने कहा कि उनकी मांगें यदि पूरी नहीं की गईं तो वे 7 सितंबर को सचिवालय की घेराबंदी करेंगे.

भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने किसानों की मांगें पूरी करने के लिए हरियाणा सरकार के लिए 6 सितंबर तक की समयसीमा निर्धारित की. करनाल में प्रदर्शनकारी किसानों को संबोधित करते हुए चढूनी ने कहा कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो सात सितंबर को सचिवालय कार्यालय की घेराबंदी की जाएगी. चढूनी ने करनाल में शनिवार को कथित तौर पर लाठीचार्ज की वजह से जान गंवाने वाले किसान के परिजनों को 25 लाख रुपए का मुआवजा और सरकारी नौकरी दिए जाने की मांग भी की. उन्होंने घायल हुए किसानों को भी दो-दो लाख रुपए का मुआवजा देने की मांग की. चढूनी ने ट्वीट कर कहा कि “देश का कनून कहता है लाठीचार्ज पैरों में किया जाए, लेकिन किसानों के सिर में लाठियां मारने के ऑर्डर दिए गए”

चढूनी ने आरोप लगाया था कि एक किसान की मौत लाठीचार्ज की वजह से हुई, लेकिन पुलिस महानिरीक्षक (करनाल) ममता सिंह ने आरोप से इनकार किया था और कहा था कि किसान की मौत उसके घर में हुई. भाजपा की बैठक के विरोध में करनाल की तरफ बढ़ते समय शनिवार को राष्ट्रीय राजमार्ग पर यातायात को बाधित कर रहे किसानों के एक समूह पर किए गए लाठीचार्ज में कथित तौर पर लगभग 10 किसान घायल हो गए थे. वहीं चढूनी ने कहा, ‘लाठीचार्ज में हमारे भाई घायल हुए. एक भाई की मौत हो गई. इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए, चाहे वह एसडीएम हों या पुलिस अधिकारी.

वहीं किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश को बचाने के लिए किसान हर कुर्बानी देने को तैयार है. जितना किसान का खून बहेगा, उतना किसान मजबूत होगा. उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर का व्यवहार जनरल डायर जैसा है. जो अत्याचार हरियाणा पुलिस ने किसानों पर किया वह बर्दाश्त नही हो सकता किसान सबका हिसाब करेगा.

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तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने भी करनाल लाठीचार्ज की निंदा की है. उन्होंने एक लहूलुहान प्रदर्शनकारी का फोटो ट्वीट करते हुए लिखा, “अगर आए तो सिर फूटा होना चाहिए उसका. क्लियर है आपको- करनाल एसडीम आयुष सिन्हा का बयान है, जो कि हरियाणा कैडर से 2018 बैच के आईएएस अफसर हैं.”उन्होंने आगे लिखा कि ऐसे घिनौने जूते चाटने वाले लोगों का नाम लेकर इन्हें शर्मिंदगी महसूस करानी चाहिए. याद करिए उन नाजी सुरक्षागार्ड्स को जो होलोकॉस्ट कैंप्स (यहूदी नरसंहार शिविर) पर तैनात थे और उन्होंने भी दावा किया था कि वे अपनी “ड्यूटी” कर रहे थे.

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