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पिता ने कर्ज लेकर बेटे को बनाया तीरंदाज, योगेंद्र ने वर्ल्ड कप मकाऊ में रचा इतिहास
रायपुर. छत्तीसगढ़ ही नहीं, भारत का नाम रोशन कर इनडोर आर्चरी वर्ल्ड सीरीज-2018 मकाऊ (चीन) में तिरंगा लहराने वाले योगेंद्र निर्मलकर ने इतिहास रच दिया. योगेंद्र अंडर-15 वर्ग में रिकर्व तीरंदाजी में इंडिया के टॉप खिलाड़ी रहे. उन्होंने वर्ल्ड में टॉप-8 में जगह बनाई. टॉप-10 में जगह बनाने वाले खिलाड़ियों का चयन यूएसए में आयोजित वर्ल्ड आर्चर वर्ल्ड सीरीज-2018 मकाऊ (चीन) में तिरंगा लहराने वाले योगेंद्र निर्मलकर ने इतिहास रच दिया.
योगेंद्र अंडर-15 वर्ग में रिकर्व तीरंदाजी में इंडिया के टॉप खिलाड़ी रहे. उन्होंने वर्ल्ड में टॉप-8 में जगह बनाई. टॉप-10 में जगह बनाने वाले खिलाड़ियों का चयन यूएसए में आयोजित वर्ल्ड आर्चरी चैंपियनशिप के लिए चयन किया गया है. योगेंद्र 27 नवंबर से दो दिसंबर तक मकाऊ में आयोजित चैंपियनशिप से गुरुवार को रायपुर लौटे. योगेंद्र और उनके कोच हीरू साहू का छत्तीसगढ़ आर्चरी संघ ने भव्य स्वागत किया. दोनों राजनांदगांव के रहने वाले हैं.
उल्लेखनीय है कि एक ओर खिलाड़ी मेहनत में पीछे नहीं हट रहे हैं, लेकिन आर्थिक तंगी से मैदान में उतरने से पहले हार मान ले रहे हैं. प्रदेश में खेल विभाग खिलाड़ियों के लिए कितना संवेदनशील है, उसका एक और उदाहरण सामने आया. मकाऊ के चयन के बाद योगेंद्र और कोच समेत तीरंदाजी संघ ने खेल एवं युवा कल्याण विभाग से आर्थिक मदद मांगी, लेकिन एक पैसे की मदद नहीं मिली. पहले योगेंद्र के पिता ने तीन लाख रुपए कर्ज लेकर बेटे को रिकर्व राउंड तीरंदाजी का उपकरण दिलवाया, उसके बाद मकाऊ जाने में भी पीछे नहीं हटे.
दो साल में कर दिखाया कारनामा
योगेंद्र ने बताया कि जब वे छठवीं कक्षा में थे, तब उनके पिता उन्हें राजनांदगांव में जहां तीरंदाजी सिखाई जाती है, वहां लेकर गए, जिसे देखने के बाद योगेंद्र ने भी तीरंदाजी में निशाना साधने की ठानी. योगेंद्र ने इंडियन राउंड से तीरंदाजी की शुरुआत की, मगर कोच ने उन्हें बताया कि इंडियन राउंड में केवल भारत में होने वाली प्रतियोगिता में ही खेल सकते हैं. इसके बाद योगेंद्र ने रिकर्व राउंड में हाथ आजमाया और दो साल में छत्तीसगढ़ के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इतिहास रच दिया. रिकर्व राउंड के उपकरण के लिए पिता ने बेटे के लिए पहले तीन लाख इसके बाद आने-जाने में दो लाख रुपए खर्च का कर्ज उठाया.