Rajasthan News: एक ओर जहां मानसून के साथ राज्य भर में खेती का मौसम जोरों पर है, वहीं कोटा जिले के दर्जनों गांवों में किसान खौफ के साये में खेतों तक पहुंच रहे हैं। वजह है चंद्रलोही नदी में लगातार बढ़ रही मगरमच्छों की संख्या, जिससे खेतों में काम करना अब जोखिम भरा हो गया है।

खेत जाने पर लगी पाबंदी, बच्चों को दूर रखा जा रहा

नदी के किनारे बसे गांवों जैसे पानड्या खेड़ी, दसलाना, भोजपुरा, देवलीअरब, नयागांव और रामखेडली में अब किसान अकेले खेतों में नहीं जाते। बच्चों के खेत जाने पर परिजनों ने खुद ही रोक लगा दी है। अधिकांश किसान अब समूह में और बेहद सतर्क होकर खेत पर जाते हैं।

हमले की घटनाएं बढ़ीं, डर बना हुआ है

रामखेडली गांव की कालीबाई के साथ हाल ही में खेत पर काम करते वक्त एक मगरमच्छ के बच्चे ने हमला किया था, जिससे उनका हाथ जख्मी हो गया। इसके बाद से गांव में डर और सतर्कता दोनों बढ़ गई है। ग्रामीणों के अनुसार, अब कोई खेत में अकेले नहीं जाता और सब्जियों जैसी फसलें, जिनके लिए बार-बार खेत जाना पड़ता है, लगाना कम कर दिया गया है।

20 किलोमीटर में फैली नदी, एक दर्जन से ज्यादा गांव प्रभावित

करीब 20 किलोमीटर लंबी चंद्रलोही नदी अब मगरमच्छों की स्थायी आबादी का केंद्र बन चुकी है। बरसात के मौसम में ये मगरमच्छ खेतों में घूमते दिखते हैं, जबकि सर्दियों में नदी किनारे धूप में दिखाई देते हैं। कई बार ये गांव के रास्तों और घरों के आसपास तक पहुंच जाते हैं।

रात में बाहर निकलने से कतराते हैं लोग

स्थानीय लोगों के मुताबिक, रात के वक्त कई बार पुलों और रास्तों पर मगरमच्छ घूमते नजर आते हैं। जब तक वे खुद हटकर वापस नदी की ओर न जाएं, कोई उस ओर जाने की हिम्मत नहीं करता। इस वजह से गांवों में रात के समय सन्नाटा पसरा रहता है।

ग्रामीण लगातार प्रशासन से नदी किनारे मगरमच्छों की बढ़ती संख्या को नियंत्रित करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि खेत, रास्ते और नदी के पास सुरक्षा के इंतजाम किए जाएं ताकि खेती का काम निर्बाध रूप से चल सके।

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