FIIs Buyers Details: शेयर बाजार की अगली चाल के लिए जरूरी है कि एफआईआई बाजार में शुद्ध खरीदार बने रहें. दिसंबर महीने में एफआईआई फिर से शुद्ध खरीदार बने रहे.शेयर बाजार की सुचारू चाल के लिए जरूरी है कि विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) खरीदार के तौर पर बाजार में रुचि लें.

अक्टूबर और नवंबर महीने में शेयर बाजार में भारी बिकवाली के बाद दिसंबर में विदेशी संस्थागत निवेशक यानी एफआईआई खरीदार के तौर पर लौटे, जिससे नवंबर के निचले स्तर से बाजार की रिकवरी मजबूत हुई. 13 दिसंबर तक एक्सचेंजों के जरिए 14 हजार 435 करोड़ रुपये के शेयर्स खरीदे.

एनएसडीएल के आंकड़ों के मुताबिक, एक्सचेंज खरीद और ‘प्राथमिक बाजार और अन्य’ श्रेणी के जरिए निवेश समेत कुल एफआईआई खरीद 13 दिसंबर तक 22 हजार 765 करोड़ रुपये तक पहुंच गई.

इस मजबूत खरीद गतिविधि ने खासकर लार्ज-कैप शेयरों में तेजी को बढ़ावा दिया है, जिसमें बैंकिंग और आईटी सेक्टर में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई.

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वीके विजयकुमार ने कहा, “हालांकि दिसंबर में एफआईआई खरीदार बन गए हैं, लेकिन कुछ दिनों में वे बड़े विक्रेता भी रहे हैं.

यह दर्शाता है कि उच्च स्तरों पर वे फिर से विक्रेता बन सकते हैं, क्योंकि भारतीय मूल्यांकन अन्य बाजारों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक बना हुआ है. विजयकुमार ने कहा कि डॉलर में वृद्धि एक और चिंता का विषय है जो एफआईआई को उच्च स्तरों पर बेचने के लिए प्रेरित कर सकती है.

हालांकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि बिकवाली की अवधि के बाद एफआईआई के शुद्ध खरीदार बनने से बाजार को बहुत जरूरी गति मिली है, जिससे निवेशकों का विश्वास मजबूत हुआ है और सूचकांक ऊपर चला गया है.

भारतीय बाजार में हाल की तेजी सकारात्मक भू-राजनीतिक घटनाक्रम, कॉर्पोरेट सुधार, प्राथमिक और द्वितीयक दोनों बाजारों में विदेशी निवेश में वृद्धि और व्यापक क्षेत्र की भागीदारी से प्रेरित है.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नकद आरक्षित अनुपात (CRR) को कम करके तरलता बढ़ाई, जिससे बाजार की प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलने की संभावना है.

निवेशकों का विश्वास बढ़ा और RBI द्वारा संभावित मौद्रिक नीति में ढील की उम्मीदें बढ़ गईं. ऐतिहासिक डेटा से पता चलता है कि निफ्टी इंडेक्स 2000 के बाद से दिसंबर में बढ़त के साथ बंद हुआ है.