नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने सोमवार को अब तक के सबसे उच्चस्तर पर पहुंचे पेट्रोल, डीजल के दाम (Petrol Diesel Price) में कमी के लिए इक्साइज ड्यूटी में कटौती से इनकार कर दिया. इसके पीछे की वजह बताते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में इन ईंधनों पर दी गई भारी सब्सिडी के एवज में किए जा रहे भुगतान के कारण उनके हाथ बंधे हुए हैं.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली UPA सरकार में पेट्रोल, डीजल, रसोई गैस और केरोसिन की बिक्री उनकी वास्तविक लागत से काफी कम दाम पर की गई. तब की सरकार ने इन ईंधनों की सस्ते दाम पर बिक्री के लिए कंपनियों को सीधे सब्सिडी देने के बजाय 1.34 लाख करोड़ रुपये के तेल बॉन्ड जारी किए थे. उस समय अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर निकल गए थे. ये तेल बॉन्ड अब मैच्योर हो रहे हैं. सरकार इन बॉन्ड पर ब्याज भी दे रही है.

सीतारमण ने कहा कि यदि मुझ पर ऑयल बॉन्ड का बोझ नहीं होता तो मैं ईंधनों पर एक्साइज ड्यूटी कम करने की स्थिति में होती. पिछली सरकार ने ऑयल बॉन्ड जारी कर हमारा काम मुश्किल कर दिया. मैं यदि कुछ करना भी चाहूं तो भी नहीं कर सकती, क्योंकि मैं काफी कठिनाई से ऑयल बॉन्ड के लिए भुगतान कर रही हूं.

सीतारमण ने कहा कि पिछले सात साल के दौरान तेल बॉन्ड पर कुल मिलाकर 70,195.72 करोड़ रुपये के ब्याज का भुगतान किया गया है. उन्होंने कहा कि 1.34 लाख करोड़ रुपये के जारी तेल बॉन्ड पर केवल 3,500 करोड़ रुपये की मूल राशि का भुगतान हुआ है.  शेष 1.30 लाख करोड़ रुपये का भुगतान 2025-26 तक किया जाना है.

वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार को चालू वित्त वर्ष 2021-22 में 10,000 करोड़ रुपये, 2023-24 में 31,150 करोड़ रुपये और उससे अगले साल में 52,860.17 करोड़ और 2025-26 में 36,913 करोड़ रुपये का भुगतान करना है. उन्होंने कहा ब्याज भुगतान और मूल राशि को लौटाने में बड़ी रकम जा रही है, यह बेकार का बोझ मेरे ऊपर है.

बता दें कि सरकार ने पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी को पिछले साल 19.98 रुपये से बढ़ाकर 32.9 रुपये प्रति लीटर कर दिया है. पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री रामेश्वर तेली ने पिछले महीने संसद को बताया कि केन्द्र सरकार को पेट्रोल और डीजल से टैक्स प्राप्ति 31 मार्च तक 88 प्रतिशत बढ़कर 3.35 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई जो कि एक साल पहले 1.78 लाख करोड़ रुपये रही थी.

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