नयी दिल्ली. राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद की ज़मीन पर मालिकाना हक़ किसका है. इस संवेदनशील मसले से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ कर रही है. हालांकि पहले ही दिन मामले की सुनवाई टाल दी गई. अब अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी. सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा कि अभी उन्हें दस्तावेजों के अनुवाद के लिए कुछ और समय चाहिए. सुप्रीम कोर्ट में 7 मार्च तक सभी दस्तावेजों को जमा करने के लिए कहा है.

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने राजीव धवन से कहा कि वे सिर्फ कानून के तहत जमीन विवाद पर सुनवाई करेंगे. वहीं, तुषार मेहता ने राजीव धवन से कहा कि वे मामले में बढ़ा-चढ़ाकर बोलने से बचें. इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता रामलला, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा हैं. सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से एज़ाज मकबूल ने कोर्ट में कहा है कि अभी दस्तावेज़ का अनुवाद पूरा नहीं हुआ है, जिन्हें सुनवाई के दौरान कोर्ट में पेश किया जाना है. सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा है कि अभी दस किताबें और दो वीडियो कोर्ट के सामने पेश किए जाने हैं. 42 हिस्सों में अनुवादित दस्तावेज कोर्ट में जमा किए जा चुके हैं.

आपको बता दें कि देश की सियासत में बड़ा असर रखने वाला ये विवाद करीब 164 साल पुराना है. सुप्रीम कोर्ट केस से जुड़े अलग-अलग भाषाओं के ट्रांसलेट किए गए 9,000 पन्नों को देखेगा. गौरतलब है प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली विशेष पीठ ने सुन्नी वक्फ बोर्ड तथा अन्य की इस दलील को खारिज किया था कि याचिकाओं पर अगले आम चुनावों के बाद सुनवाई हो. इस पीठ ने पिछले साल पांच दिसंबर को स्पष्ट किया था कि वह आठ फरवरी से इन याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई शुरू करेगी और उसने पक्षों से इस बीच जरूरी संबंधित कानूनी कागजात सौंपने को कहा था.

वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल और राजीव धवन ने कहा था कि दीवानी अपीलों को या तो पांच या सात न्यायाधीशों की पीठ को सौंपा जाए या इसे इसकी संवेदनशील प्रकृति तथा देश के धर्मनिरपेक्ष ताने बाने और राजतंत्र पर इसके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए 2019 के लिए रखा जाए.शीर्ष अदालत ने भूमि विवाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ 14 दीवानी अपीलों से जुड़े एडवोकेट ऑन रिकार्ड से यह सुनिश्चित करने को कहा कि सभी जरूरी दस्तावेजों को शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री को सौंपा जाए.