कोरबा. दैहिक शोषण की शिकार एक युवती पिछले 15 दिनों से थाने के चक्कर काट रही है. उसके बाद भी अब तक पुलिस ने उसकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की है. वहीं रिपोर्ट दर्ज न किये जाने से जहा एक ओर आरोपी के हौसले बुलंद हैं, तो दूसरी ओर पीड़ित युवती दहशत में है. मामला कोरबा मुख्यालय से 120 किलोमीटर दूर पसान थाना क्षेत्र का है.
थाने पहुंची पीड़ित युवती का आरोप है कि उसके गांव के ही रहने वाले युवक बृजमोहन यादव ने 3 माह पहले उसे प्रेम जाल में फंसाया. फिर शादी का झांसा देकर लगातार घर में ही रखकर इसका दैहिक शोषण करता रहा. जब उसने युवक से शादी करने की बात कही तो बृजमोहन उसके साथ मारपीट करने लगा. इतना ही नहीं युवक की मॉ ने भी युवती को यातना देना शुरू कर दिया. जिससे परेशान होकर युवती वापिस अपने घर आ गई.
घर आने के बाद युवती 26 दिसम्बर को पसान थाने पहुंची और अपने साथ हुए दैहिक शोषण की शिकायत थाने में की. जिसके बाद थाने में मौजूद पुलिसकर्मी ने युवती के आवेदन को ले तो लिया, लेकिन उसकी पावती नहीं दी साथ ही इस मामाले में अब तक पुलिस ने एफआईआर भी दर्ज नहीं की है.
तब से लेकर अब तक यह युवती रोज सुबह नियम से 9 बजे भूखे प्यासे 5 किलोमीटर दूर पैदल थाने आती है और फिर न्याय न मिलने के बाद खाली हाथ वापिस अपने घर लौट जाती है. करीब 15 दिन से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी अब तक पुलिस ने इस युवती की रिपोर्ट दर्ज नहीं की है. उल्टा वहां थाने में मौजूद पुलिस कर्मी उसके साथ हुए घटना को सुनकर चुटकियां लेने से भी बाज भी नहीं आते है. अपने साथ हुई घटना के बाद पुलिस के इस कृत्य से युवती काफी आहत है. अब उसने अपनी इस पीड़ा से मीडिया को अवगत कराया है.
मामला प्रकाश के आने के बाद जब मीडिया कर्मियों ने पसान थाना प्रभारी जे एस पैकरा से बात की तो उनका कहना था कि इस मामले में दोनों के बीच आपसी रजामंदी हो गयी है. जिसके चलते इस मामले में हमारा कोई हस्तक्षेप नहीं बनता. जब युवती ने थानेदर के सामने ही कहा कि हमारा ऐसा कोई भी समझौता नहीं हुआ है और मै लगातार रिपोर्ट दर्ज कराने थाने आ रही हूं. इस पर पहले तो पैकरा बोले की उनकी मुलाकात इस युवती से नहीं हुई है. बाद में माहौल बिगड़ता देख थाने में आवेदन को ढ़ुढ़वाया गया तो युवती द्वारा दिया गया आवेदन तो मिल गया लेकिन उस पर न तो आवेदन देने की तरीख थी और न ही पावती की सील.
इस घटना के बाद यहां पुलिस और थानेदार की संवेदनशीलता का अंदाजा लगाया जा सकता है कि बलात्कार जैसे मामलो में पुलिस कितनी संजीदा है. पुलिस का ये व्यवहार नया नहीं है, शहरी इलाको में पुलिस जिस तरीके से अपना आदर्श चेहरा प्रस्तुत कर पुलिसिया कार्यवाही की ताल ठोकती है तो वही ग्रामों एवं दूरस्थ इलाके के थाने किस तरीके से काम कर रहे है.