नई दिल्ली। औद्योगिक इकाईयों से निकलने वाले कचरे का निस्तारण करने के लिए बवाना में राजधानी दिल्ली का पहला संयंत्र लग रहा है. इसके लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से NOC (no objection certificate) भी मिल गया है और दिसंबर तक ये शुरू हो जाएगा.
प्रदूषण से निपटने दिल्ली सरकार बनाने जा रही विंटर एक्शन प्लान
दिल्ली में फिलहाल खतरनाक तरीके से कचरे की समस्या है, लेकिन इससे निपटने की कोशिश की जा रही है. औद्योगिक कचरे के कारण प्रदूषण बहुत ज्यादा है, लेकिन भविष्य में ये खतरा नहीं बनेगा. औद्योगिक इकाईयों से निकलने वाले कचरे के निपटारे के लिए बवाना में राजधानी दिल्ली का पहला संयंत्र लगाया जा रहा है.
हर साल उद्योगों से निकल रहा 2,683 मीट्रिक टन खतरनाक कचरा
केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय को दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति ने एक रिपोर्ट भेजी थी, जिसके मुताबिक दिल्ली में 2683.46 मीट्रिक टन हर साला की दर से खतरनाक कचरा निकल रहा है. ये कचरा राजधानी की 2,026 औद्योगिक इकाईयों से निकल रहा है. ये वो कचरा है, जो कॉमन इफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट के जरिए औद्योगिक इकाईयों के प्रदूषित जल का शोधन होने के बाद निकलता है.
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मेसर्स तमिलनाडु वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड को संयंत्र तैयार करने का टेंडर
अगर वर्तमान की बात करें, तो अभी तक दिल्ली में उद्योगों के खतरनाक कचरे के ट्रीटमेंट, स्टोरेज और डिस्पोजल की कोई सुविधा नहीं है. बवाना में इस खतरनाक कचरे के निस्तारण के लिए दिल्ली का पहला टीएसडीएफ संयंत्र लगाया जा रहा है. दिल्ली राज्य औद्यौगिक एवं ढांचागत विकास निगम ने मेसर्स तमिलनाडु वेस्ट मैनेजमेंट लिमिटेड को संयंत्र तैयार करने का टेंडर भी जारी कर दिया है.
दिल्ली में प्रदूषण का खतरनाक स्तर
दिल्ली में प्रदूषण (Delhi Pollution) इतना होता है कि लोगों को साफ हवा मुहैया ही नहीं है. यहां तक कि वहां के कई लोगों को सांस की बीमारी, दमा, स्किन संक्रमण जैसी समस्या हो गई है. अब प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार विंटर एक्शन प्लान तैयार करने जा रही है, क्योंकि सर्दियों के मौसम में पॉल्यूशन यहां पर और अधिक खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है.
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दरअसल प्रदूषण के मामले में भारत विश्व के अव्वल देशों में शामिल है. वहीं दिल्ली का हाल तो सबसे बुरा है. आईक्यूएयर और ग्रीनपीस साउथ ईस्ट एशिया एनालिसिस की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली में साल 2020 में वायु प्रदूषण के चलते हजारों लोगों की असमय मौत हुई है. पिछले साल कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के बावजूद हमारा देश प्रदूषण के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर रहा था.