सत्यपाल राजपूत, रायपुर। प्रदेश में महामारी कोरोना से लड़ने आज से वैक्सीन अभियान शुरू हो गई. राज्य में पहला टीका अंबेडकर अस्पताल के सफाई कर्मी तुलसा तांडी को लगाया गया. वहीं एम्स रायपुर में सबसे पहले डायरेक्टर डॉ नितिन नागरकर ने कोरोना टीका लगाया. दूसरे नंबर पर सफाईकर्मी मलखान जांगड़े को टीका लगाया गया.
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वहीं जिला अस्पताल में दल लोगों को सुरक्षित वैक्सीन लगाया गया. आधे घंटे तक लाभार्थी डॉक्टरों की निगरानी में थे. इसके बाद सभी कोविड वैक्सीन सेंटर से घर लौट गए हैं. इनको किसी भी प्रकार का कोई रिएक्शन नहीं हुआ है. पहले बैच के लाभार्थियों ने लोगों से अपील की है कि वैक्सीन का कोई रिएक्शन नहीं हुआ है. इसलिए बिना डर के निश्चिंत होकर लगाए.
टीका लगने से पहले थोड़ा मन में डर था, अब हम ही कह रहे टीका लगवाए. इमरजेंसी निगरानी डॉक्टरों की टीम ने कहा कि सांस की गति, मांसपेशी में जलन या खुजली, अन्य बिन्दु के आधार पर जांच कर रहे हैं.
विनय शर्मा कालीबाड़ी ज़िला अस्पताल शीघ्र जांचकर्ता ने बताया कि वैक्सीन सेंटर पहुंचने से पहले मन में थोड़ा भारी था कुछ होगा तो नहीं लेकिन हिम्मत बांधकर वैक्सीन लगवाएं है. आधा घंटा हो गया. वैक्सीन लगे अभी तक किसी भी प्रकार का रिएक्शन नहीं हुआ है और बड़ी ख़ुशी हो रही है कि हमें कोरोना का वैक्सीन लग गया, एक तरह की संजीवनी मिल गई है. ऐसे लोगों से कहना चाहेंगे जो वैक्सीन लगवाने से डर रहे हैं तो डरने वाली कोई बात नहीं है. जब हमें कुछ नहीं हुआ तो आपको भी कुछ नहीं होगा. वैक्सीन लगने के बाद डॉक्टरों की निगरानी में रहते हैं.
सावित्री चौबे महिला सुपरवाईजर ने बताया कि मुझे वैक्सीन लगे लगभग आधा घंटा से ज़्यादा हो गया न ही उस जगह पर सूजन हुआ है और न ही किसी भी प्रकार की कोई रिएक्शन इसलिए मैं बाक़ी लोगों से अपील करती हूं कि वैक्सीन सेंटर आए और वैक्सीन लगवाएं.
वैक्सीन सेंटर प्रभारी एवं जिला अस्पताल अधीक्षक आर के गुप्ता बताया कि वैक्सीन को 2-8 डिग्री सेंटीग्रेड के अंदर रखा गया है जो हेल्थ वर्कर वैक्सीन लगवाने आ रहे हैं फ़ायदे उनको वेटिंग हॉल में बैठाया जाता है. उसके बाद पंजीयन केंद्र से फ़ार्म भरकर वैक्सीन के लिए भेजा जाता है. एक सी लगने के बाद आधे घंटे तक डॉक्टरों की निगरानी में लाभार्थियों को रखा जाता है. उसके बाद नॉर्मल स्थिति को देखते हुए उनको छोड़ दिया जाता है.
निगरानी टीम डॉक्टर शेशांक़ साहू ने बताया कि वैक्सीन लगने के बाद लाभार्थी को निगरानी सेंटर में लाया जाता है, जहां उनके बैठने एवं इमरजेंसी की स्थिति में लेटने की सभी व्यवस्था है. मुख्य रूप से लाभार्थियों में सांस की गति एवं त्वचा में किसी भी प्रकार का रिएक्शन के साथ अन्य रिएक्शन को ध्यान में रखते हुए लगातार लाभार्थियों से बातचीत किया जा रहा है. फ़िलहाल 10 लोग यहां से अपने घर के लिए निकल चुके हैं और किसी को किसी भी कीसी प्रकार का रिएक्शन नहीं हुआ है.