Flex-Fuel Vehicles : पिछले कुछ वर्षों में हम फ्लेक्स-फ्यूल टेक्नोलॉजी के बारे में काफी कुछ सुन रहे हैं. यह कोई नई तकनीक नहीं है क्योंकि फ्लेक्स-फ्यूल वाहनों की लोकप्रियता 1990 के दशक के मध्य में शुरू हुई थी. हालांकि हाल के दिनों में कई वाहन निर्माताओं ने फ्लेक्स-फ्यूल कारों या मोटरसाइकिलों को पेश करने की अपनी प्रतिबद्धता के बारे में तेजी से बात करना शुरू कर दिया है.
भारत में सरकार इस तकनीक पर जोर दे रही है, जिसने वाहन निर्माताओं को इस सेगमेंट पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया है. हरित और स्वच्छ ईंधन और पावरट्रेन समाधानों पर बढ़ते फोकस के साथ, फ्लेक्स-फ्यूल तकनीक को ज्यादा प्रमुखता मिली है.
फ्लेक्स फ्यूल क्या होते हैं? (Flex-Fuel Vehicles)
फ्लेक्स फ्यूल वाहन 100 प्रतिशत पेट्रोल या 100 प्रतिशत बायो-इथेनॉल और उनके मिश्रणों के संयोजन पर चलने में सक्षम होते हैं. ये मूल रूप से एक फ्लेक्सिबल फ्यूल होता है, जो वाहन के आंतरिक दहन इंजन (ICE) के साथ संगत है. यह पेट्रोल या डीजल के साथ-साथ ईंधन के मिश्रण पर भी चलता है. एमीशन की बात करें, तो नॉर्मल पेट्रोल और डीजल इंजन के मुकाबले ये कम पॉल्यूशन करते हैं.
फ्लेक्सिबल फ्यूल के क्या होते हैं फायदे?
सस्ता ईंधन विकल्प: ईंधन के रूप में तेल सीमित स्रोत है. ऐसे में यह जरूरी है कि इसका विकल्प तलाशा जाए. ऐसे में फ्लेक्स फ्यूल एक अहम विकल्प है. पेट्रोल और इथेनॉल को मिलाकर इस्तेमाल करने से ईंधन की कमी को दूर किया जा सकता है. ये पारंपरिक ईंधन से सस्ता भी पड़ता है.
सस्ता कच्चा माल: फ्लेक्स फ्यूल के लिए इस्तेमाल होने वाला इथेनॉल गन्ना या मक्का से बनाया जाता है. यह दोनों ही फसल सस्ती होती हैं और इनका उत्पादन बड़े स्तर पर होता है. उत्पादन की लागत भी काफी कम होती है.
नेचुरल एंटी फ्रीज: इथेनॉल प्राकृतिक रूप से एंटी फ्रीज पदार्थ होता है. ऐसे में सर्दियों में यह पाइपलाइन में जमता नहीं है.
कम कार्बन उत्सर्जन: इथेनॉल पेट्रोल से अधिक स्वच्छ होता है. ऐसे में यह कम कार्बन उत्सर्जन करता है.
फ्लेक्स फ्यूल के नुकसान
- Flex Fuel के कुछ नुकसान भी हैं जिनके बारे में आपको वाहन को खरीदने से पहले पता होना चाहिए.
- इथेनॉल के उपयोग को नुकसान भी माना जा सकता है क्योंकि ईंधन उत्पादन के लिए उपलब्ध कराई गई कोई भी फसल किसी अन्य उपयोग के लिए उपयोग नहीं की जा सकती है. इससे पशु आहार जैसे उत्पादों की कीमतों में इजाफा हो सकता है. मक्का (मकई), विशेष रूप से खेती करने के लिए एक श्रम प्रधान फसल है और सूखे, खराब मौसम के अधीन होती है.
- इथेनॉल भी गैसोलीन की तरह किफायती नहीं है, जिसमें यह समान स्तर की ईंधन क्षमता प्रदान नहीं करता है. इथेनॉल के आपूर्तिकर्ता उतने नहीं हो सकते जितने पेट्रोल की आपूर्ति करते हैं, इसलिए फ्लेक्स ईंधन स्टेशन कम और बीच में हो सकते हैं जो वर्तमान में गैसोलीन स्टेशनों के मामले में है. वास्तव में वर्तमान में देश भर में कुछ ही स्टेशन हैं जो इथेनॉल की आपूर्ति करते हैं.
- इथेनॉल गंदगी को आसानी से अवशोषित कर लेता है इससे इंजन को जंग लग सकता है और इंजन खराब भी हो सकता है.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक